भारत में कोरोना के दौरान प्रवासी मजदूरों को लाने को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट पब्लिश की। रिपोर्ट केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल सहित कई लोगों से बात पर आधारित है। लेकिन रिपोर्ट को देखकर संजीव सान्याल ने आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि एक एजेंटे के तहत रिपोर्ट को तोर-मरोड़कर पेश की गई है।
नई दिल्ली. भारत में कोरोना के दौरान प्रवासी मजदूरों को लाने को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक रिपोर्ट पब्लिश की। रिपोर्ट केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल सहित कई लोगों से बात पर आधारित है। लेकिन रिपोर्ट को देखकर संजीव सान्याल ने आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि एक एजेंटे के तहत रिपोर्ट को तोर-मरोड़कर पेश की गई है।
न्यूयॉर्क टाइम्स साउथ एशिया ब्यूरो के प्रमुख जेफरी गेटेलमैन ने अपने लेख में कहा कि प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए भारत सरकार ने ट्रेन चलाई, लेकिन ट्रेन वायरस का हॉटस्पॉट बन गईं। आर्टिकल की हेडलाइन थी, The virus trains: How lockdown chaos spread COVID-19 across India, जिसका मतलब है- वायरस ट्रेन : लॉकडाउन की अव्यवस्था ने कोविड-19 को देशभर में कैसे फैलाया। लेख में कहा गया है कि आर्टिकल लिखने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुख्या आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल सहित कई लोगों से बात की गई है। लेकिन अब संजीव सान्याल ने आर्टिकल की पोल खोल दी है।
संजीव सान्याल ने कहा- जो बातचीत हुई वह नहीं लिखा
संजीव सान्याल ने कहा, हां, आपके पत्रकार ने मुझसे बात की थी, लेकिन जो बातचीत हुई वह लेख में नहीं दिख रहा है। इसके बाद उन्होंने कहा कि क्या आप बातचीत सुनना पसंद करेंगे? मेरे पास पूरी ऑडियो रिकॉर्डिंग है।
"उनका नैरेटिव और एजेंडा पहले से तय था"
उन्होंने एक और ट्वीट में कहा, 40 मिनट के इंटरव्यू में 30 मिनट भारत की नीति के पीछे की सोच के बारे में बात की गई। लेकिन पत्रकार को इसमें कोई रुची नहीं थी। उनके पास अपने नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए पहले से एजेंडा था। सान्याल ने आगे कहा कि जब पत्रकार के मुताबिक बात नहीं की तो आखिरी 10 मिनट में उन्होंने उनके मुंह से अपने मुताबिक बातें निकलवाने की कोशिश की।
"मैंने उनके एजेंडे के लिए उपयोगी बयान नहीं दिया"
सान्याल ने ट्वीट में कहा, मैंने उनके एजेंडे के लिए उपयोगी बयान नहीं दिया तो लेख में मेरे दो शब्दों के उल्लेख ये दिखाने के लिए किया गया कि उन्होंने सभी पक्षों को मौका दिया। मैं रिकॉर्डिंग पोस्ट कर रहा हूं, ताकि इसका उपयोग केस स्टडी के रूप में किया जा सके कि भारतीय अधिकारी पक्षपाती पश्चिमी मीडिया से कैसे निपट सकते हैं।