'स्टालिन और DMK के लिए प्रशांत किशोर की 'रणनीति' ताबूत में आखिरी कील जैसी होगी'

Published : Jan 02, 2021, 03:06 PM IST
'स्टालिन और DMK के लिए प्रशांत किशोर की 'रणनीति' ताबूत में आखिरी कील जैसी होगी'

सार

राज्य में इस साल मई-जून में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में डीएमके माइनॉरिटी वेलफेयर डिवीजन ने 6 जनवरी को चेन्नई में कॉन्फ्रेंस बुलाई है। DMK के अध्यक्ष स्टालिन के नेतृत्व में चेन्नई के रायपेट में होने वाली इस कॉन्फ्रेंस का नाम दिया गया है "Let's Connect Hearts" यानी आओ दिलों को जोड़ें। इसी क्रम में बताया जा रहा है कि हाल ही में हैदराबाद में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने डीएमके के अल्पसंख्यक नेता केएस मसदान से मुलाकात की। 

तमिलनाडु. राज्य में इस साल मई-जून में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में डीएमके माइनॉरिटी वेलफेयर डिवीजन ने 6 जनवरी को चेन्नई में कॉन्फ्रेंस बुलाई है। DMK के अध्यक्ष स्टालिन के नेतृत्व में चेन्नई के रायपेट में होने वाली इस कॉन्फ्रेंस का नाम दिया गया है "Let's Connect Hearts" यानी आओ दिलों को जोड़ें। इसी क्रम में बताया जा रहा है कि हाल ही में हैदराबाद में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने डीएमके के अल्पसंख्यक नेता केएस मसदान से मुलाकात की। 
सूत्रों के मुताबिक, यह भी बताया जा रहा है कि डीएमके ने चेन्नई में होने वाली कॉन्फ्रेंस में असदुद्दीन ओवैसी को भी आने का न्योता दिया था। लेकिन अब मसदान ने इससे इंकार कर दिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा, इस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ डीएमके नेताओं को बुलाया गया है। उन्होंने कहा, ओवैसी को न्योता दिए जाने की खबरें गलत हैं। 

हालांकि, इससे पहले ओवैसी और मसदान की मुलाकात की फोटो और वीडियो मीडिया में सामने आ चुके हैं। इसके अलावा डीएमके नेता डी आर पालु ने भी ओवैसी से फोन पर बात की थी। 

ओवैसी से भाजपा को होता है फायदा- डीएमके नेता
डीएमके के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, यहां तक की आम आदमी भी जानता है कि ओवैसी वोट पाने वाले नेता हैं। उनके प्रयासों का सीधा फायदा भाजपा को होता है। ऐसे में उन्हें डीएमके की कॉन्फ्रेस में ओवैसी को बुलाना पुरानी सहयोगी अल्पसंख्यक पार्टियों को नाराज करने वाला है। ओवैसी उर्दू बोलने वाले मुस्लिम हैं। उन्हें तमिल बोलने वाले मुस्लिम वोट नहीं देंगे। 

उन्होंने कहा, प्रशांत किशोर बिहारी होने के नाते तमिलनाडु को उतना नहीं समझते। तमिल एक अलग जाति है। हमारी संस्कृति सदियों पुरानी है। यही वजह है कि राज्य में भाजपा और संघ पैर नहीं पसार पाए। क्या स्टालिन यह सोचते हैं कि बिहारी ब्राह्मण प्रशांत किशोर तमिल वोटरों को समझते हैं? प्रशांत किशोर 2014 में पीएम मोदी के साथ काम कर चुके हैं। क्या जिस व्यक्ति ने 2014 में भाजपा को जिताया है, वह डीएमके के लिए विश्वनीय होगा। डीएमके में कई ऐसे नेता हैं, जिन्हें क्षेत्रों के बारे में अधिक जानकारी है। लेकिन स्टालिन उन पर भरोसा नहीं करते। वे सिर्फ बिहार से आने वाले प्रशांत किशोर पर भरोसा करते हैं। उन्हें लगता है कि वे जादू की छड़ी से चुनाव जीत सकते हैं। 

उन्होंने कहा, स्टालिन ने प्रशांत किशोर को डीएमके का करोड़ों रुपए दिया। वहीं, डीएमके के कार्यकर्ता पार्टी के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। डीएमके शुरुआत से ही एंटी ब्राह्मण विचारधारा पर ली है। ऐसे में अगर स्टालिन प्रशांत किशोर पर भरोसा करते हैं, तो उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। 

PREV

Recommended Stories

बिना डरे बाड़ फांदकर भारत में कुछ यूं घुसते हैं बांग्लादेशी, यकीन ना हो तो देख लो ये वीडियो!
गोवा नाइटक्लब आग: लूथरा ब्रदर्स की थाईलैंड में हिरासत की पहली तस्वीरें