CAA विरोध प्रदर्शन: SC के निर्देश पर योगी सरकार ने वापस लिए नोटिस; नए कानून के तहत कार्रवाई की आजादी

नागरिकता संशोधन कानून(Citizenship (Amendment) Act, 2019) यानी CAA के विरोध में प्रदर्शन करने वालों को भेजे गए नोटिस योगी सरकार ने वापस ले लिए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़े शब्दों में निर्देश दिए थे।

Asianet News Hindi | Published : Feb 18, 2022 8:18 AM IST / Updated: Feb 18 2022, 01:53 PM IST

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून(Citizenship (Amendment) Act, 2019) यानी CAA के विरोध में प्रदर्शन करने वालों को भेजे गए नोटिस योगी सरकार ने वापस ले लिए हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़े शब्दों में निर्देश दिए थे। इस मामले में 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यूपी में सीएए विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक सम्पतियों के नुकसान की वसूली के लिए भेजे गए सभी 274 नोटिस और कार्यवाहियों को वापस लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अब की की गई वसूली लौटाने (रिफंड) करने के भी आदेश दिए। 

नए कानून के तहत कार्रवाई की आजादी
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसक प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ नए कानून के तहत कार्रवाई करने की अवश्य आजादी दी है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 13 और 14 फरवरी को ये नोटिस वापस ले लिए गए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके नोटिस वापस लेने की मांग उठाई गई थी। इसे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सीएए (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों पर जुर्माना लगाने के मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार को फटकार लगाई थी। 2019 में एंटी सिटिजनशिप (संशोधन) एक्ट के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों से जुर्माना वसूल रही थी।मामले की सुनवाई कर रही जज डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की बेंच ने आरोपियों की संपत्तियां कुर्क करने की कार्यवाही के संचालन के संबंध में कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे व्यवहार कर रही है जैसे वह शिकायतकर्ता, न्यायनिर्णायक और अभियोजक हो। बेंच ने कहा कि कार्यवाही वापस लें, नहीं तो हम इसे इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन करने के लिए रद्द कर देंगे। इसके बाद योगी सरकार ने नोटिस वापस ले लिए।

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परवेज आरिफ टीटू ने लगाई थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश परवेज आरिफ टीटू द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। परवेज ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा कथित प्रदर्शनकारियों को भेजे गए नोटिस को रद्द करने की मांग की थी। याचिका में कहा गया है कि मनमाने तरीके से नोटिस भेजा गया है। एक ऐसे व्यक्ति के नाम पर नोटिस दिया गया है, जिसकी मौत छह साल पहले हो गई थी। 94 साल के एक और 90 साल के दो बुजुर्गों को नोटिस दिया गया। 

833 उपद्रवियों के खिलाफ दर्ज हुए थे 106 केस
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कोर्ट को बताया था कि 833 उपद्रवियों के खिलाफ 106 एफआईआर दर्ज किए गए थे। इसके खिलाफ 274 रिकवरी नोटिस जारी किए गए थे। 274 नोटिसों में से 236 में वसूली के आदेश पारित किए गए, जबकि 38 मामले बंद कर दिए गए। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2009 और 2018 में दो आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि न्यायिक अधिकारियों को क्लेम ट्रिब्यूनल में नियुक्त किया जाना चाहिए, लेकिन इसके बजाय आपने अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) नियुक्त किए।

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