Rabindranath Tagore Jayanti 2022: भारत के अलावा इस देश का राष्ट्रगान लिख चुके रबीन्द्रनाथ टैगोर

Published : May 07, 2022, 06:00 AM IST
Rabindranath Tagore Jayanti 2022: भारत के अलावा इस देश का राष्ट्रगान लिख चुके रबीन्द्रनाथ टैगोर

सार

नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन के रचियता कविगुरु रबीन्द्रनाथ टैगोर की आज (शनिवार) 161वीं जयंती है। रबीन्द्रनाथ के बचपन का नाम रबी था। उन्होंने महज 8 साल की उम्र से ही कविता-कहानियां लिखना शुरू कर दी थीं। 

Rabindranath Tagore Jayanti 2022: भारत के राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' के रचयिता रबीन्द्रनाथ टैगोर की शनिवार को 161वीं जयंती है। उनका जन्म 7 मई, 1861 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की जोरसंको हवेली में हुआ था। यह हवेली टैगोर परिवार का पैतृक निवास थी। महात्मा गांधी ने रबीन्द्रनाथ टैगोर को 'गुरुदेव' की उपाधि प्रदान की थी। वैसे, रबीन्द्रनाथ टैगोर को भारत ही नहीं बल्कि बांग्लादेश के राष्ट्रगान को लिखने का श्रेय भी जाता है। उन्होंने 'आमार सोनार बांग्ला' लिखा, जो कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान है। 

रबीन्द्रनाथ टैगोर को बचपन से ही घर-परिवार में साहित्यिक माहौल मिला। यही वजह थी कि उनकी भी रुचि इसी फील्ड में थी। रबीन्द्रनाथ टैगोर को बचपन से ही कहानियां और कविताएं लिखने का शौक था। कहा जाता है कि उन्होंने महज 8 साल की उम्र से ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। 16 साल की उम्र में उनकी पहली लघुकथा पब्लिश हो गई थी।  

इस डर की वजह से पहली किताब मैथिली में लिखी : 
रबीन्द्रनाथ टैगोर के घरवाले चाहते थे कि उनका बेटा लंदन में उच्च शिक्षा प्राप्त कर बैरिस्टर बने। इसके लिए उन्हें इंग्लैंड भेजा गया, लेकिन वहां उनका दिल नहीं लगा। इसके बाद वो पढ़ाई बीच में ही छोड़कर भारत लौट आए। चूंकि उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ी थी, इसलिए उन्हें डर था कि कविताएं लिखने का शौक घरवालों को अच्छा नहीं लगेगा। यही वजह थी कि रबीन्द्रनाथ ने अपनी पहली किताब बांग्ला नहीं बल्कि मैथिली भाषा में लिखी थी। खास बात ये है कि इसमें उन्होंने अपने नाम की जगह किसी और नाम का इस्तेमाल किया था। बाद में जब उन्होंने इस किताब की रचनाएं घरवालों को सुनाईं तो भी खुश हुए। इसके बाद से उन्होंने अपनी रचनाएं बांग्ला भाषा में लिखनी शुरू कीं। 

इनसे हुआ था रबीन्द्रनाथ टैगोर का विवाह : 
रबीन्द्रनाथ टैगोर का विवाह 1883 में मृणालिनी देवी से हुआ। हालांकि, 1902 में महज 25 साल की उम्र में बीमारी के चलते मृणालिनी देवी की मौत हो गई। रबीन्द्रनाथ टैगोर को उनकी रचना 'गीतांजलि' के लिए 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। गीतांजलि बांग्ला भाषा में थी, लेकिन बाद में उन्होंने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया। रबीन्द्रनाथ टैगोर को कविगुरू और विश्वकवि के नाम से भी जाना जाता है। रबीन्द्रनाथ टैगोर ने 1901 में शांति निकेतन की स्थापना की। यहां पारंपरिक तरीके से गुरु-शिष्य परपंरा का पालन करते हुए शिक्षा दी जाती थी। बता दें कि 7 अगस्त, 1941 को उनका निधन हो गया था।  

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