Rafael deal पर रार: संबित पात्रा के आरोपों पर Congress ने पूछा-क्यों JPC से भाग रही BJP

Published : Nov 09, 2021, 08:29 PM IST
Rafael deal पर रार: संबित पात्रा के आरोपों पर Congress ने पूछा-क्यों JPC से भाग रही BJP

सार

फ्रेंच पोर्टल 'Mediapart' की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि दसॉ (Dassault) ने भारत को 36 राफेल फाइटर जेट बेचने का सौदा हासिल करने के लिए मिडिलमैन को करीब 7.5मिलियन यूरो का भुगतान किया था। भारतीय एजेंसियां, दस्‍तावेज होने के बावजूद इसकी जांच करने में नाकाम रहीं। 

नई दिल्ली। राफेल सौदे (Rafael Fighter Jet) में एक बिचौलिये के माध्यम से कथित तौर पर घूस लिए जाने संबंधी खुलासे के बाद देश में सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर इस मामले की लीपापोती का आरोप लगाया है तो मंगलवार को बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। BJP प्रवक्‍ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने कहा कि खुलासा हो गया है कि वर्ष 2007 से 2012 तक उनकी अपनी सरकार सत्‍ता में थी जब कमीशन दिया गया। बिचौलिये का नाम भी सामने आ गया है। दूसरी ओर कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि बीजेपी इस मामले में जेपीसी से क्यों भाग रही है। अगर साफ सुथरी है तो उसे जेपीसी से भागना नहीं चाहिए। 

संबित पात्रा बोले-कांग्रेस मतलब आई नीड कमीशन

बीजेपी प्रवक्‍ता (BJP Spokesperson) संबित पात्रा ने मंगलवार को कहा कि 'INC (इंडियन नेशनल कांग्रेस) का मतलब है-आई नीड कमीशन (I Need Commission)। आरोप लगाया कि यूपीए (UPA) के कार्यकाल के दौरान हर डील में एक 'डील' थी और वे इसके बाद भी डील नहीं कर सके।' उन्‍होंने कहा, 'राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को इटली से जवाब देने चाहिए कि आपने और आपकी पार्टी ने इतने सालों से राफेल को बारे में झूठ फैलाने की कोशिश क्‍यों की है। अब यह खुलासा हो गया है कि वर्ष 2007 से 2012 तक उनकी अपनी सरकार सत्‍ता में थी जब कमीशन दिया गया। बिचौलिये का नाम भी सामने आ गया है।' 

कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया था आरोप- बताया ऑपरेशन कवरअप

उधर, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि 'ऑपरेशन कवरअप के मौजूदा खुलासे से मोदी सरकार और सीबीआई-प्रवर्तन निदेशालय के बीच राफेल भ्रष्‍टाचार को  दबाने के लिए संदिग्‍ध साठगांठ का पता चलता है।' 

कमीशन भुगतान के साक्ष्य प्रकाशित किया तो मचा हंगामा

फ्रेंच पोर्टल 'Mediapart' की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी दसॉ (Dassault) ने भारत को 36 राफेल फाइटर जेट बेचने का सौदा हासिल करने के लिए मिडिलमैन (बिचौलिये) को करीब 7.5मिलियन यूरो (लगभग 650 मिलियन या 65 करोड़ रुपये ) का भुगतान किया था। आरोप है कि भारतीय एजेंसियां, दस्‍तावेज होने के बावजूद इसकी जांच करने में नाकाम रहीं। 

Mediapart ने कथित Invoices प्रकाशित किए हैं जो बताते हैं कि दसॉ ने कथित बिचौलिये सुशेन गुप्‍ता (Sushen Gupta) को गुप्‍त रूप से कमीशन का भुगतान किया।  मीडिया  पार्ट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के पास अक्‍टूबर 2018 से सबूत हैं कि दसॉ ने राफेल जेट के बिक्री सौदे को हासिल करने के लिए सुशेन गुप्‍ता को घूस दी गई थी। 

अगस्ता वेस्टलैंड के वीवीआईपी हेलीकाप्टर्स घोटाले के भी दस्तावेज

सबूत गोपनीय दस्‍तावेजो में मौजूद हैं जो दोनों एजेंसियों की ओर से एक अन्‍य भ्रष्‍टाचार मामले-अगस्‍तावेस्‍टलैंड (AgustaWestland)की ओर से वीवीआईपी हेलीकॉप्‍टर्स (VVIP Helicopters)की सप्लाई का घोटाला- की जांच में सामने आए हैं। 'राफेल पेपर्स' पर मीडियापार्ट की तफ्तीश के कारण फ्रांस को जुलाई माह में  भ्रष्‍टाचार के आरोपों की न्‍यायिक जांच शुरू करनी पड़ी। रिपोर्ट के अनुसार, 'सुशेन गुप्‍ता पर मॉरीशस में रजिस्‍टर्ड एक 'शैल कंपनी'  के जरिये अगस्‍तावेस्‍टलैंड से रिश्‍वत लेने का आरोप है। मॉरीशस प्रशासन, जांच के लिए इस कंपनी से  संबंधित दस्‍तावेज सीबीआई और ईडी को भेजने पर सहमत हो गया था। 

मारीशस ने दस्तावेज दिए फिर भी ईडी और सीबीआई ने जांच को रोका

यह दस्‍तावेज सीबीआई के पास 11 अक्‍टूबर, 2018 को, राफेल डील में कथित भ्रष्‍टाचार की आधिकारिक तौर पर शिकायत मिलने के ठीक एक सप्‍ताह बाद भेजे गए थे। मीडियापार्ट के अनुसार, 'इसके बाद भी सीबीआई ने जांच शुरू नहीं करने का निर्णय लिया।'

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