राजस्थान: पंजाब की तरह कृषि कानूनों के विरोध में जल्द विधेयक लाएंगे सीएम गहलोत

पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार के बाद अब राजस्थान की गहलोत सरकार भी कृषि कानूनों कि खिलाफ जल्द नया विधेयक ला सकती है। बता दें कि पंजाब विधानसभा  द्वारा मंगलवार को सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीनों कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव पास कर दिया गया है।

Asianet News Hindi | Published : Oct 20, 2020 8:29 PM IST / Updated: Oct 24 2020, 01:37 PM IST

जयपुर. केंद्र सरकार के नए कृषि कानून के खिलाफ मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की घेराबंदी जारी है। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार के बाद अब राजस्थान की गहलोत सरकार भी कृषि कानूनों कि खिलाफ जल्द नया विधेयक ला सकती है। बता दें कि पंजाब विधानसभा  द्वारा मंगलवार को सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीनों कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव पास कर दिया गया है।

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में हम किसानों के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने किसानों के खिलाफ जो कानून बनाए हैं, उसका हमारी कांग्रेस पार्टी विरोध करती रहेगी। गहलोत ने कहा कि आज पंजाब की कांग्रेस सरकार ने इन कानूनों के विरुद्ध बिल पारित किए हैं और राजस्थान सरकार भी जल्द ऐसा ही करने वाली है।

केंद्र के खिलाफ पंजाब सरकार का प्रस्ताव पास

इससे पहले मंगलवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया, जिसके तहत राज्य सरकार ने तीन नए कानून पास किए हैं। प्रस्ताव में इस बात को शामिल किया गया है कि अगर किसी किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे फसल देने पर मजबूर किया गया तो ऐसा करने वाले को तीन साल तक की जेल की सजा होगी। इसके साथ ही अगर किसी कंपनी या व्यक्ति द्वारा किसानों पर जमीन या फसल को बेचने या खरीदने संबंधी दबाव बनाया जाता है तो भी जुर्माना और जेल का प्रस्ताव राज्य सरकार द्वारा इन बिलों में किया गया है। 

कांग्रेस ने की थी कानून पर विचार करने की अपील

मालूम हो कि कांग्रेस पार्टी ने अपनी प्रदेश सरकारों से कहा था कि कृषि विधेयकों को खारिज करने के लिए वो कानून पर विचार करें। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों को संविधान के अनुच्छेद 254 (2) के तहत अपने राज्यों में कानून पारित करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा था, जो राज्य विधानसभाओं को एक केंद्रीय कानून को रद्द करने के लिए एक कानून पारित करने की अनुमति देता है। हालांकि इन कानूनों को भी राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होती है।

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