राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के खिलाफ केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला, जानिए क्यों SC जाने का बनाया मन...

Published : Nov 17, 2022, 08:46 PM ISTUpdated : Nov 17, 2022, 08:50 PM IST
राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के खिलाफ केंद्र सरकार ने लिया बड़ा फैसला, जानिए क्यों SC जाने का बनाया मन...

सार

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजीव गांधी हत्याकांड की सजा काट रहे छह दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया था। तमिलनाडु की अलग-अलग जेलों से नलिनी श्रीहरन, उसके पति वी श्रीहरन, संथन, रॉबर्ट पायल, जयकुमार व रविचंद्रन को रिहा किया गया था। 

Rajiv Gandhi assassination case: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के छह हत्यारों की रिहाई के मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालने का मन बनाया है। छह दोषियों को रिहा करने के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजीव गांधी हत्याकांड की सजा काट रहे छह दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया था। तमिलनाडु की अलग-अलग जेलों से नलिनी श्रीहरन, उसके पति वी श्रीहरन, संथन, रॉबर्ट पायल, जयकुमार व रविचंद्रन को रिहा किया गया था। श्रीहरन व संथन श्रीलंकाई नागरिक हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन लोगों को किया गया रिहा

राजीव गांधी की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरण, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार और रॉबर्ट पॉयस को सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवम्बर को रिहा करने का आदेश दिया था। इससे पहले मई में सुप्रीम कोर्ट पेरारिवलन को पहले ही रिहा कर चुकी है। जिस समय नलिनी को पकड़ा गया था, तब वो दो महीने की गर्भवती थी। यह जानकर सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। 

26 दोषियों को मौत की सजा

21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरमबुदुर में चुनावी अभियान के दौरान LTTE (Liberation Tigers of Tamil Eelam ) की आत्मघाती महिला हमलावर धनु ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या की साजिश में शामिल 26 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि, मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 आरोपियों को बरी कर दिया था। जबकि 4 आरोपियों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) की मौत की सजा बरकरार रखी थी। जबकि रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार की मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी थी। इन की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला था। लेकिन बाकी आरोपियों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी थी।

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