
Gaganyaan Mission India: भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री और पूर्व विंग कमांडर राकेश शर्मा (Wing Commander Rakesh Sharma) ने कहा है कि अगर मौका मिलता तो वे भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान (Gaganyaan) में जरूर जाना चाहते। लेकिन, अफसोस के साथ उन्होंने कहा कि उनका समय अब बीत चुका है।
एक बातचीत में राकेश शर्मा ने कहा: बिलकुल, मैं फिर जाना चाहता लेकिन लगता है कि मेरा जन्म थोड़ा जल्दी हो गया। अब वो समय मेरे लिए नहीं है, लेकिन हां, मैं जरूर जाना चाहता।
विंग कमांडर राकेश शर्मा ने आगे कहा कि बिलकुल जाना चाहता, मैं एक टेस्ट पायलट हूं। अंतरिक्ष हमेशा मेरे खून में रहा है।
राकेश शर्मा 1984 में सोवियत यूनियन के सोयुज़ T-11 मिशन से अंतरिक्ष में गए थे और उन्होंने भारत का परचम अंतरिक्ष में लहराया था।
गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान होगा जिसे 2025-2026 के बीच श्रीहरिकोटा (Sriharikota) से GSLV Mk III यानी Human Rated Launch Vehicle Mark-3 के ज़रिए लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के तहत तीन भारतीय अंतरिक्षयात्रियों (astronauts) को तीन दिन के लिए पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में भेजा जाएगा।
राकेश शर्मा ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Group Captain Shubhanshu Shukla) को भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) पर जाने के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा: शुभांशु को ISS पर जाकर एक नया अनुभव मिलेगा। वो वहां 14 दिन रहेंगे, प्रयोग करेंगे और जो कुछ देखेंगे-समझेंगे, वो हमारे भविष्य के भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station) के लिए बहुत अहम होगा।
राकेश शर्मा ने शुभांशु को खास संदेश देते हुए कहा: मैं शुभांशु को शुभकामनाएं देता हूं। खुश रहो, सुरक्षित लौटो। अंतरिक्ष से वापस आने के बाद इंसान वैसा नहीं रहता, जैसा पहले था। ये अनुभव धीरे-धीरे आपके सोचने के तरीके को बदलता है, आपको धरती के बारे में, मानवता के बारे में और अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य के बारे में नई समझ देता है।
राकेश शर्मा का मानना है कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब नए युग में प्रवेश कर रहा है। गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के जरिए भारत न केवल तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर हो रहा है बल्कि वैश्विक स्पेस सुपरपावर बनने की दिशा में मजबूत क़दम भी बढ़ा रहा है।