क्या शाहीन बाग में प्रदर्शन खत्म कराने के लिए सरकार ने इस मंत्री को सौंपी मध्यस्थता की जिम्मेदारी

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले करीब डेढ़ महीन से ज्यादा से महिलाएं दिन रात सड़कों पर बैठी हैं, जिसके चलते नोएडा-कालिंदी कुंज मार्ग पूरी तरह बाधित है।

नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले करीब डेढ़ महीन से ज्यादा से महिलाएं दिन रात सड़कों पर बैठी हैं, जिसके चलते नोएडा-कालिंदी कुंज मार्ग पूरी तरह बाधित है। इसी का नतीजा है कि देश भर में शाहीन बाग सीएए-एनआरसी के विरोध के आंदोलन का मॉडल बन गया है। 
 
मोदी सरकार ने साफ तौर पर कह दिया है कि वह नागरिकता कानून पर अपने फैसले से एक इंच भी हम पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, बजट सत्र से पहले ही कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह साफ कर दिया था कि सरकार शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने को तैयार है।

मुस्लिम प्रतिनिधियों से मिले रामविलास पासवान 
इन सबके बीच मंगलवार को मोदी सरकार कैबिनेट मंत्री रामविलास पासवान के साथ मुस्लिमों का एक प्रतिनिधी मंडल ने मुलाकात की है। इसमें वकील से लेकर कुछ नेता और धार्मिक रहनुमा शामिल थे।

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सूत्रों की मानें तो रामविलास पासवान से मिलें प्रतिनिधिमंडल ने सीएए-एनआरसी के खिलाफ अपनी बातें रखीं। इस पर पासवान ने भी उन्हें अस्वासन दिया कि उनकी बातों को वो सरकार तक पहुंचाने का काम करेंगे। हालांकि पासवान उन्हें साफ तौर पर कह दिया है कि सीएए को सरकार वापस नहीं लेगी। 

तो क्या सरकार ने मध्यस्थता के लिए पासवान को किया नियुक्त
दिलचस्प बात यह है कि मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने मुलाकात से पहले यह कहा कि मोदी सरकार ने शाहीन बाग में मध्यस्ता के लिए केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को नियुक्त किया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार की ओर से ऐसी कोई पहल नहीं की गई है और न ही किसी को मध्यस्ता के लिए नियुक्त किया है।

ऐसे में यह सियासी खेल दिल्ली में बैठे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने किया है, जो अपनी सियासी पहचान बनाना चाहते हैं। इसी मद्देनजर पासवान से मुलाकात तय की गई, जिसे एलजेपी के महासचिव अब्दुल खालिक ने तय कराया। शाम सात बजे मुस्लिमों का यह प्रतिनिधी मंडल उनके आवास पर पहुंचा।

'हम किसी नेता के पास नहीं जाएंगे'
हालांकि रामविलास पासवान से मुलाकात करने वाला मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों का शाहीन बाग आंदोलन से किसी तरह काई वास्ता है और न ही सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हिस्सा है। यही वजह है कि जब हमने शाहीन बाग से जुड़े हुए लोगों से बात किया तो उन्होंने कहा कि हम किसी नेता के पास जाएंगे नहीं बल्कि जिन्हें बात करनी है वो यहां पर आएं। रामविलास पासवान ने मिलने हमारे यहां से कोई नहीं गया है।

बता दें कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले दिनों ट्वीट कर जरूर कहा था कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन सीएए को लेकर हमारा स्टैंड कायम है। दिल्ली के चुनाव में शाहीन बाग एक बड़ा मुद्दा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक इसे उठा रहे हैं। 

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