रविदास मंदिर : पूर्व सांसद ने DDA और दिल्ली सरकार के खिलाफ कोर्ट में दायर की याचिका

शीर्ष अदालत के आदेश पर पिछले साल नौ अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस मंदिर को ढहा दिया था। न्यायालय ने यह निर्देश देते हुये टिप्पणी की थी कि वन भूमि खाली नहीं करके गुरू रविदास जयंती समारोह ने शीर्ष अदालत के पहले आदेश का ‘गंभीर उल्लंघन’ किया है। शीर्ष अदालत ने बाद में पिछले साल 25 नवंबर को तुगलकाबाद वन क्षेत्र मे लकड़ी का घेरा बनाने की बजाये मंदिर के लिये स्थाई संरचना के निर्माण की अनुमति दे दी थी।

नई दिल्ली. कांग्रेस के पूर्व सांसद अशोक तंवर ने तुगलकाबाद मे गुरू रविदास मंदिर के स्थाई ढांच के निर्माण की शीर्ष अदालत की अनुमति का कथित रूप से ‘जानबूझकर’ अनुपालन नहीं करने के कारण दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली सरकार के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिये बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय मे याचिका दायर की।

अदालत के आदेश पर पिछले साल DDA ने मंदिर को ढहा दिया था

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शीर्ष अदालत के आदेश पर पिछले साल नौ अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने इस मंदिर को ढहा दिया था। न्यायालय ने यह निर्देश देते हुये टिप्पणी की थी कि वन भूमि खाली नहीं करके गुरू रविदास जयंती समारोह ने शीर्ष अदालत के पहले आदेश का ‘गंभीर उल्लंघन’ किया है। शीर्ष अदालत ने बाद में पिछले साल 25 नवंबर को तुगलकाबाद वन क्षेत्र मे लकड़ी का घेरा बनाने की बजाये मंदिर के लिये स्थाई संरचना के निर्माण की अनुमति दे दी थी।

अदालत ने मंदिर निर्माण के लिए सरकार को समिति गठित करने का निर्देश दिया था

अक्टूबर में न्यायालय ने तुगलकाबाद वन क्षेत्र में मंदिर निर्माण के लिये 400 वर्ग मीटर भूमि देने के केन्द्र के परिवर्तित प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था और सरकार को इसके लिये छह सप्ताह के भीतर समिति गठित करने का निर्देश दिया था। तंवर ने अवमानना कार्यवाही के लिये दायर याचिका में दावा किया है कि न्यायालय के 21 अक्टूबर और 25 नवंबर के 2019 के किसी भी निर्देश पर प्राधिकारियों ने अमल नहीं किया है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘गुरू रविदास मंदिर के निर्माण में विलंब से भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में लाखों लोगों की भावनायें आहत हो रही हैं। गुरू रविदास के अनुयायियों को न्याय की उम्मीद थी लेकिन दुर्भाग्य से न्यायालय के आदेश के बावजूद उनके साथ ऐसा नहीं हुआ है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि न्यायालय के आदेश मे जिस समिति का जिक्र किया गया था वह कहीं नजर नहीं आ रही है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(फाइल फोटो)

 

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