कौन है कार्ल सागन जिसकी तरह लेखक बनना चाहता था रोहित वेमुला? जानें पूरी बात

Published : May 04, 2024, 02:01 PM IST
ROHIT VEMULA

सार

हैदराबाद यूनिवर्सिटी के PHD स्टूडेंट रोहित वेमुला के सुसाइड मामले में तेलंगाना पुलिस ने केस बंद कर दिया है और क्लोजर फाइल जमा कर दी है। उन्होंने रोहित वेमुला के दलित न होने की बात कही है।

Rohit Vemula Suicide Case: हैदराबाद यूनिवर्सिटी के PHD स्टूडेंट रोहित वेमुला के सुसाइड मामले में तेलंगाना पुलिस ने केस बंद कर दिया है और क्लोजर फाइल जमा कर दी है। उन्होंने रोहित वेमुला के दलित न होने की बात कही है। पुलिस द्वारा रिपोर्ट जमा करने के बाद वेमुला से जुड़ा मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है। इसको लेकर यूनिवर्सिटी परिसर में अम्बेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (ASA) के लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि, आपको बताना चाहता हूं कि रोहित वेमुला ने सुसाइड से पहले एक नोट भी लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने मन की बाते लिखी थी। उन्होंने लेटर में एक ऐसे शख्स का भी जिक्र किया था, जिसकी तरह वो बनना चाहते थे। वो कोई और नहीं बल्कि विज्ञान के क्षेत्र के महान लेखक कार्ल सागन की तरह बनना चाहते थे।

रोहित वेमुला ने कार्ल सागन के संदर्भ में कई सारी बाते भी लिखी थी। उन्होंने लिखा कि मैं हमेशा से एक लेखक बनना चाहता था। कार्ल सागन जैसा विज्ञान का लेखक। मुझे विज्ञान, तारे, प्रकृति से प्यार था, लेकिन फिर मैंने लोगों से प्यार किया, बिना यह जाने कि लोगों ने बहुत पहले ही प्रकृति से तलाक ले लिया है। हमारी भावनाएं दोयम दर्जे की हैं। हमारा प्यार बना हुआ है।

कार्ल सागन एक अमेरिकी खगोलशास्त्री

कार्ल सागन एक अमेरिकी खगोलशास्त्री और विज्ञान लेखक थे। उनका जन्म 9 नवंबर, 1934, ब्रुकलिन , न्यूयॉर्क में हुआ था। वो एक लोकप्रिय और प्रभावशाली व्यक्ति थे। उन्होंने परमाणु हथियार और धर्म पर अपने विचारों के लिए वैज्ञानिक, राजनीतिक और धार्मिक गलियारों में विवादास्पद थे। उनकी मौत साल 20 दिसंबर, 1996 को सिएटल वाशिंगटन में हुई थी।

ये भी पढ़ें: Rohith Vemula Suicide Case: 'मैं राक्षस बन गया हूं', आखिर क्यों रोहित वेमुला ने सुसाइड नोट में लिखा ऐसा, जानें कुछ जरूरी अंश

PREV

Recommended Stories

Delhi Pollution Emergency: खुले में कचरा जलाते पकड़े गए तो सीधे ₹5,000 फाइन-असली वजह क्या?
क्या नया CIC तय होने वाला है? पीएम मोदी और राहुल गांधी की मीटिंग पर क्यों टिकी देश की नजर?