पीएम मोदी की कश्मीर यात्रा के पहले आतंकी गतिविधियां हुई तेज, पुलवामा में दो आरपीएफ जवानों को मारी गोली, एक मौत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्मू-कश्मीर की यात्रा के पहले आतंकी गतिविधियां तेज हो गई हैं। अकेले अप्रैल माह में नौ आतंकी वारदातें हो चुकी हैं। लगातार बाहरियों व स्थानियों को आतंकी अपना शिकार बना रहे।

Dheerendra Gopal | Published : Apr 19, 2022 12:29 AM IST / Updated: Apr 19 2022, 06:01 AM IST

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा (PM Narendra Modi visit) के पहले आतंकवादियों (terroritsa activities) ने एक बार फिर गतिविधियां तेज कर दी हैं। पुलवामा जिले में रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के दो जवानों पर आतंकियों ने हमला कर दिया। काकापोरा में एक चाय की दुकान के पास हेड कांस्टेबल सुरिंदर सिंह और सहायक उप निरीक्षक देवराज को गोली मार दी गई। दोनों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने सुरिंदर सिंह को मृत घोषित कर दिया। हमले के बाद घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किया गया था, लेकिन हमलावर भागने में सफल रहे।

24 अप्रैल को पीएम मोदी आ रहे हैं जम्मू-कश्मीर

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24 अप्रैल को होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले कश्मीर में आतंकवादी हमलों में तेजी आई है। पीएम मोदी जम्मू के पास एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगे जिसमें पंचायत राज दिवस को चिह्नित करने के लिए हजारों पंचायत सदस्य शामिल होंगे।

इस महीने का यह नौंवा हमला

पिछले तीन हफ्तों में, आतंकवादियों ने कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमले तेज कर दिए हैं। इस महीने यह नौवां हमला था। नौकरी की तलाश में जम्मू-कश्मीर आए बाहरी लोगों और स्वदेशी कश्मीरी पंडितों की लक्षित हत्याओं में भी वृद्धि हुई है।

राज्य में पंचायत सदस्यों पर भी कई हमले हो चुके हैं। पिछले महीने से लक्षित हमलों में चार पंचायत सदस्य मारे गए थे। शुक्रवार को बारामूला जिले में लक्षित हमले में आतंकवादियों ने एक सरपंच या निर्वाचित ग्राम प्रधान की हत्या कर दी। मंजूर अहमद बांगरू को प्वाइंट ब्लैंक शॉट दिया गया। गंभीर रूप से घायल, अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। मंजूर, पिछले छह हफ्तों में कश्मीर में मारे जाने वाले चौथे पंचायत सदस्य हैं।

बीते बुधवार को, आतंकवादियों ने कुलगाम जिले में एक प्रवासी ड्राइवर की हत्या कर दी। सतीश कुमार सिंह की अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई। अक्टूबर में, पांच दिनों में सात नागरिक मारे गए - उनमें एक कश्मीरी पंडित, एक सिख और दो गैर-स्थानीय हिंदू शामिल थे।
 

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