यूक्रेन के पूर्वोत्तर क्षेत्र सुमी(City in Ukraine) में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी हो गई है। ऑपरेशन गंगा(Operation Ganga) के तहत 242 भारतीय नागरिकों(Indian citizens) को लेकर एक स्पेशल फ्लाइट पोलैंड से नई दिल्ली पहुंची। इन लोगों की सुरक्षित निकासी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति को फोन तक लगाया था, ताकि उन पर कोई हमला न हो।
नई दिल्ली. यूक्रेन के पूर्वोत्तर क्षेत्र सुमी(City in Ukraine) में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी हो गई है। ऑपरेशन गंगा(Operation Ganga) के तहत 242 भारतीय नागरिकों(Indian citizens) को लेकर एक स्पेशल फ्लाइट पोलैंड से नई दिल्ली पहुंची। इन लोगों की सुरक्षित निकासी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति को फोन तक लगाया था, ताकि उन पर कोई हमला न हो। एक छात्रा ने कहा-हम वापस अपने देश आकर बहुत खुश हैं, वहां की हालत अभी खराब है। हम भारत सरकार को धन्यवाद करते हैं क्योंकि उन्होंने हमारे बारे में सोचा और बिना मांगे इतना कुछ किया।
Operation Ganga: पोलैंड के रास्ते भारत लाए गए
इससे पहले युद्धग्रस्त सुमी से 600 भारतीय छात्रों और अन्य नागरिकों को लीव से पोलैंड तक एक विशेष ट्रेन के जरिये पहुंचाया गया था। पोलैंड से तीन विशेष उड़ानें के जरिये इन्हें भारत के लिए रवाना किया गया। एक छात्र अनशाद अली के मुताबिक, 'इंटरनेशल कमिटी ऑफ रेड क्रॉस' की मदद से भारतीय नागरिकों को 13 बसों के काफिले में सूमी से ले जाया गया था।
13 दिनों से सुमी में फंसे हुए थे भारतीय नागरिक
रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) का 11 मार्च को 16वां दिन है। इस बीच यूक्रेन के पूर्वोत्तर क्षेत्र सुमी(City in Ukraine) में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित निकासी इतनी आसान नहीं थी, जितनी दिख रही है। इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) भी अच्छे से वाकिफ थे। इसलिए उन्होंने रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति को फोन लगाया, ताकि उन पर हमला न हो। हालांकि अब इन छात्रों को सुरक्षित कॉरिडोर खुलने के बाद निकाल लिया गया है। ये छात्र यहां 13 दिनों से फंसे हुए थे।
पहली कोशिश नाकाम रही थी
न्यूज एजेंसी ANI ने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि यह एक जटिल और खतरनाक स्थिति थी। सोमवार को इन छात्रों को शिफ्ट करने का पहला प्रयास विफल हो गया था। इसके बाद खतरा और अधिक बढ़ गया था। इसके बाद मोदी ने रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपति से फोन पर बात की, तब दोनों नेताओं ने भारतीय छात्रों के लिए सुरक्षित मार्ग देने का भरोसा दिलाया। दोनों नेताओं ने इस मामले को लेकर अपनी-अपनी तरफ से हरी झंडी दिखाई और PM मोदी से कहा कि भारतीय छात्रों के लिए सुरक्षित मार्ग में कोई समस्या नहीं है।
दोनों देशों ने मानवीय गलियारा बनाने के निर्देश दिए थे
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मोदी के कॉल के बाद मॉस्को और कीव के अधिकारियों ने मानवीय गलियारा(humanitarian corridor) बनाने के निर्देश दिए। इस तरह मंगलवार को छात्रों को सूमी में एक जगह से बसों में बैठाकर मध्य यूक्रेन के पोल्टावा ले जाया गया। विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishankar) भी रूस, यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों में अपने समकक्षों के साथ लगातार संपर्क में थे। ANI ने कहा कि भारत ने छात्रों को निकालने में मदद के लिए जिनेवा और यूक्रेन दोनों में रेड क्रॉस के साथ बातचीत की। इसने एक अधिकारी के हवाले से कहा कि युद्धग्रस्त क्षेत्र में बसों को किराए पर लेना एक बड़ी चुनौती थी, क्योंकि यूक्रेनी ड्राइवर रूसी सीमा की तरफ जाने के लिए तैयार नहीं थे।
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