काशी बांटती नहीं जोड़ती है, जब रोम के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा तो भी था यह शहर: सद्गुरु

बनारस की बहुप्रतिक्षित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। 800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बने इस प्रोजेक्ट के उद्घाटन में बीजेपी के 11 मुख्यमंत्रियों सहित काफी संख्या में शिवभक्त इस समारोह में उपस्थित रहे।

नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु (Sadhguru) ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) पर खुशी जाहिर करते हुए काशी के महात्म्य को बताया है। सद्गुरु ने कहा कि काशी का पुनरुद्धार न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि काशी, धरती का सबसे प्राचीन जीवित शहर है। एक ऐसा द्वार जिसने हजारों साधकों को मानवीय लालसा की अभिव्यक्ति खोजने में सक्षम बनाया है। उन्होंने यूपी के लोगों सहित पीएम मोदी और सीएम योगी को काशी की पौराणिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए धन्यवाद भी दिया है।

सद्गुरु ने कहा कि वाराणसी यानी काशी दो नदियों के मिलन से उत्पन्न शहर है। वाराणसी का नाम ही दो नदियों वरूणा और असी के मिलन पर पड़ा है। काशी दुनिया के प्राचीनतम शहरों में से एक है। जब रोम के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा तो काशी थी, जब मिस्र के पिरामिडों को बनाने के बारे में किसी ने सोचा तक नहीं था तो काशी थी।

Latest Videos

उन्होंने कहा कि काशी का मतलब टॉवर ऑफ लाइट है, जहां आप खुद को ईश्वर से कनेक्ट हो जाते हैं। काशी एक धर्म विशेष की नगरी नहीं है बल्कि यहां मनुष्य का रूपांतरण हो है। काशी विश्वनाथ मंदिर तो भगवान विश्वनाथ का मंदिर है यानी पूरे विश्व के भगवान का मंदिर जहां हर किसी को आशीर्वाद मिलता है।  
 

सोमवार को हुआ था काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन

बनारस की बहुप्रतिक्षित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। 800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बने इस प्रोजेक्ट के उद्घाटन में बीजेपी के 11 मुख्यमंत्रियों सहित काफी संख्या में शिवभक्त इस समारोह में उपस्थित रहे। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि औरंगजेब के अत्याचार का इतिहास साक्षी है। उसने तलवार के बदले सभ्यता को बदलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्‌टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं। अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। और अंग्रेजों के दौर में भी, हेस्टिंग का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, ये तो काशी के लोग जानते ही हैं। आतंक के वो पर्याय इतिहास के काले पन्नों में सिमटकर रह गए। मेरी काशी आगे बढ़ रही है। 

लोकार्पण के बाद वह गंगा आरती देखने के लिए दशाश्वमेध घाट पहुंचे। घाट के सामने मौजूद क्रूज से उन्होंने आरती और लेजर शो देखा। वह रविदास घाट से विवेकानंद क्रूज में सवार होकर दशाश्वमेध घाट पहुंचे। इससे पहले उन्होंने रविदास घाट पर संत रविदास की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। मोदी ललिता घाट से अलकनंदा क्रूज के जरिए रविदास घाट पहुंचे थे।

यह भी पढ़ें:

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर...विकास के एक नये युग की शुरुआत, पीएम मोदी ने किया खोई हुई परंपरा को बहाल

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

तो क्या खत्म हुआ एकनाथ शिंदे का युग? फडणवीस सरकार में कैसे घटा पूर्व CM का कद? । Eknath Shinde
ठिकाने आई Bangladesh की अक्ल! यूनुस सरकार ने India के सामने फैलाए हाथ । Narendra Modi
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh