Opinion झूठ, विवादित बयान और मुस्लिमों में भ्रम फैलाने पर टिकी है ओवैसी की राजनीति

असदुद्दीन ओवैसी एक ऐसा नेता जिसने द्वेष, सांप्रदायिक नारों, झूठ पर अपनी राजनीति के पूरे करियर का निर्माण किया, वह अब मीडिया में अपने दोस्तों की मदद से एक फलते फूलते धर्म निरपेक्ष में कड़ी मारने की कोशिश में है। सवाल यह है कि क्या यह सफल होगा, या लोग उसे पहचान पाएंगे। 

असदुद्दीन ओवैसी एक ऐसा नेता जिसने द्वेष, सांप्रदायिक नारों, झूठ पर अपनी राजनीति के पूरे करियर का निर्माण किया, वह अब मीडिया में अपने दोस्तों की मदद से एक फलते फूलते धर्म निरपेक्ष में कड़ी मारने की कोशिश में है। सवाल यह है कि क्या यह सफल होगा, या लोग उसे पहचान पाएंगे। 

पिछले कुछ दशकों के दौरान, भारतीय मुसलमानों ने गलत नेताओं को चुनकर एक ही गलती की है। मीडिया पर शक्तिशाली प्रभाव रखने वालों ने एक ऐसा माहौल बनाया है कि भारतीय मुसलमानों को ऐसा लगने लगा है कि केवल बुर्का और टॉपी पहनने वालों पर ही उनकी इच्छा और जरूरतों का सम्मान करने के लिए भरोसा किया जा सकता है।

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वे उन लोगों पर अपना विश्वास बनाए रखते हैं, जो सिर्फ अंग्रेजी बोलकर लोकतंत्र पर खोखला प्रचार करते हैं, लेकिन यह उनके निजी स्वार्थ के अलावा कुछ नहीं होता। वे सिर्फ एक पोस्टर-ब्वॉय हैं जो मुसलमानों के बीच सिर्फ असुरक्षा की भावना को पैदा करते हैं।

भारत में मुसलमानों ने हमेशा ऐसे नेताओं में अपने विश्वास को पैदा किया है, जिससे अलगाव की धारणा बढ़ी है, जबकि अन्य समुदायों ने ओवैसी जैसे नेताओं से हमेशा किनारा किया है। एक अच्छा उदाहरण यह है पीएम मोदी ने किस तरह से विवादित बयानों को लेकर साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को चेतावनी दी। 

आइए, अब असदुद्दीन ओवैसी की विभाजनकारी राजनीति को समझते हैं: 

2008 में परिसीमन के बाद हैदराबाद लोकसभा सीट से विकाराबाद, तंदूर और चेवेल्ला को अलग कर दिया गया। असदुद्दीन की पार्टी ने केवल उन सीटों को जीता जहां वे मुस्लिम वोट का सांप्रदायिकरण कर सके। यहां मुस्लिम वोट 65% थे। 

ओवैसी भाई अपने प्रति मुसलमानों के अटूट समर्थन को कैसे बनाए रखने की कोशिश करते हैं? वे ऐसे मनगढ़ंत शत्रु पैदा करते हैं जो भारतीय मुस्लिम को पसंद करते हैं। वे अपने भाषणों के जरिए मुस्लिम समुदाय के भीतर कृत्रिम भय को पैदा करते हैं और उन्हें हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार करते हैं।

अकबरुद्दीन ओवैसी अपने सांप्रदायिक भाषणों के लिए जाने जाते हैं: 
 
 1- 2007 में उन्होंने बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन को सिर काटने की धमकी दी थी। 

2- 2011 में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को कातिल, दरिंदा, बेईमान, धोखेबाज और चोर कहा। उन्होंने कहा कि राव जिंदा होते तो वे उसे मार देते। 

3-  2012 में उन्होंने राम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की। 

4-  2012 में, उन्होंने कहा, "यह नया नाम भाग्य लक्ष्मी क्या है, उनके बारे में कभी नहीं सुना है। भाग्य भी हिल जाता है और लक्ष्मी भी गिर जाती है।"

5-  उन्होंने यह भी कहा, "15 मिनट पुलिस हटाकर दिखाओ, 25 करोड़ मुसलमान 100 करोड़ हिंदुओं को दिखा देंगे कि कौन कितना शक्तिशाली हैं।''

वे इरादतन अपराधी हैं जो लोगों को हिंसा में लिप्त होने के लिए उकसाते हैं। इतना सब होने के बाद भी, वे अभी भी कुछ मुसलमानों को अपने पक्ष में लाने में सक्षम हैं कि उनकी पार्टी एआईएमआईएम उन्हें 'काल्पनिक' दुश्मन से बचाएगा।

हालांकि, उनके विकास को लेकर वादे अभी भी खाली हैं। उन्होंने पुराने हैदराबाद के लोगों को यह भरोसा दिलाया है कि एआईएमआईएम के कारण ही वे सुरक्षित हैं और शांति से रह रहे हैं। लेकिन यहां लोग आज भी पानी, बिजली, स्वच्छता और सड़कों की खराब स्थिति के बीच रह रहे हैं। वहीं, नया हैदराबाद में आज विकास की बयार है। 

अगर हम ओवैसी के किसी भी वीडियो को देखते हैं, तो हम देखते हैं कि कैसे वे झूठे मुक्ति के वादों के आधार पर वोट मांगते हैं। ओवैसी बंधुओं ने भी आतंकी याकूब मेमन को खुलकर समर्थन दिया था, जब उसे फांसी दी गई थी। 

हालांकि, वे आईएसआईएस का विरोध करते हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हैदराबाद में आईएसआईएस से लिंक के चलते पकड़े गए तीन आतंकियों को कानूनी मदद की पेशकश की थी। अफवाह यह भी है कि हैदराबाद अवैध रोहिंग्याओं के लिए एक आश्रय स्थल बन गया है, इन्हें कथित तौर पर ओवैसी भाइयों की मदद भी मिल रही है। 

असदुद्दीन ओवैसी की इस्लामवादी राजनीति की जो लोग आलोचना करते हैं तो बचाव में वे कहते हैं कि उन्होंने जिन्ना के दो-राष्ट्र के सिद्धांत को खारिज किया और वे भारत के मुसलमान होने पर गर्व करते हैं। हालांकि, उन्होंने इस बयान का खंडन किया जब उन्होंने भारत में मुस्लिम होने के लिए विशेष विशेषाधिकार की मांग की।  

 इस हालिया आंदोलन के दौरान भी, हमने असदुद्दीन को हिंसा भड़काने और लोगों के बीच अनावश्यक डर पैदा करते हुए देखे गए हैं। जब देश सीएए के खिलाफ इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों से थोड़ा ठंडा हो रहा है, तो असदुद्दीन जैसे नेता लगातार नागरिकों के बीच डर पैदा करके इसे और भड़काना चाहते हैं। सरकार के बार-बार सीएए को लेकर झूठ को खत्म करने के प्रयास के बीच ओवैसी जैसे नेता जो धर्मनिरपेक्षता की आड़ में हैं, वे आम आदमी की पीड़ा के माध्यम से अपने व्यक्तिगत एजेंडे को पूरा करते हैं।

मुझे उम्मीद है कि जब तक बहुत देरी हो, उससे पहले भारतीय मुसलमान ओवैसी और उसकी राजनीति को देख सकें।

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।

मलयालम, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, बांग्ला और हिंदी भाषा में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है। 

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