टूलकिट केस : शांतनु को 10 दिन की अंतरिम जमानत, निकिता पर फैसला कल; जानें कैसे रची गई 26 जनवरी की साजिश?

ग्रेटा के टूलकिट का एक तार कार्यकर्ता दिशा रवि से जुड़ा है तो दूसरा तार किसान आंदोलन से भी जुड़ता दिख रहा है। दरअसल, टूलकिट केस में पुलिस को पुणे के इंजीनियर शांतनु मुलुक की तलाश है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शांतनु 20 से 27 जनवरी के बीच दिल्ली के टिकरी सीमा पर किसानों के विरोध स्थल पर मौजूद था। 

नई दिल्ली. ग्रेटा के टूलकिट केस में आरोपी शांतनु मुलुक को औरंगाबाद कोर्ट ने 10 दिन की अंतरिम जमानत दे दी। वहीं, अन्य आरोपी निकिता जैकब की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इसे कल सुनाया जाएगा। वहीं, फैसला आने तक दिल्ली पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी। उधर, टूलकिट केस में पुलिस को पुणे के इंजीनियर शांतनु मुलुक की तलाश है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शांतनु 20 से 27 जनवरी के बीच दिल्ली के टिकरी सीमा पर किसानों के विरोध स्थल पर मौजूद था। 

तीनों पर क्या आरोप लगा है?

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पुलिस 21 साल की जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि से पूछताछ कर रही थी। दिशा रवि, शांतनु और वकील निकिता जैकब पर भारत की छवि धूमिल करने और खालिस्तानी तत्वों का सहयोग करने के लिए टूलकिट बनाने का आरोप लगाया गया है। जबकि दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने निकिता और शांतनु को फरार घोषित कर दिया है। दोनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। 

जूम पर किस मुद्दे पर बात हुई?

जब निकिता जैकब की याचिका मुंबई में दायर की गई, तब शांतनु मुलुक ने अपना आवेदन हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ में प्रस्तुत किया। पुलिस ने सोमवार को कहा कि दिशा, निकिता और शांतनु दिल्ली में गणतंत्र दिवस की हिंसा से 15 दिन पहले 11 जनवरी को खालिस्तानी समूह पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक जूम बैठक में शामिल हुए थे। संयुक्त पुलिस आयुक्त (साइबर) ने कहा कि बैठक का उद्देश्य "ग्लोबल फार्मर स्ट्राइक" और "ग्लोबल डे ऑफ एक्शन, 26 जनवरी" नामक टूलकिट बनाने के लिए तौर-तरीके तय करना था। 

दिल्ली पुलिस द्वारा मंगलवार को सामने आई नई जानकारी के अनुसार, शांतनु 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के लिए जाने वाले दिनों में टिकरी सीमा पर विरोध स्थल पर मौजूद था और एक दिन बाद ही वहां से चला गया। पूछताछ के दौरान दिशा रवि ने दो अन्य संदिग्धों के नामों का भी खुलासा किया है। इनमें से एक संदिग्ध विदेश में है और दूसरा भारत में है। पुलिस फिलहाल संदिग्ध लोगों को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है।

ग्रेटा के टूलकिट में क्या था? 

स्वीडन की 18 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलनों के बीच ट्विटर पर एक टूल शेयर किया था। टूलकिट में भारत में अस्थिरता फैलाने को लेकर साजिश का प्लान था। उसमें ट्विटर पर हैजटैग के साथ ही आंदोलन के दौरान क्या करें क्या न करें? कहीं फंसने पर क्या करें? ऐसे बहुत सारे सवालों के जवाब दिए गए थे। टूलकिट में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश भी थे।

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