उद्धव ठाकरे बोले- रावण नहीं रख सकता राम का धनुष, चुनाव चिह्न चुरा सकते हो ठाकरे नाम नहीं

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग द्वारा पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट को दिए जाने को लेकर सोमवार को कहा कि रावण राम का धनुष नहीं रख सकता। मेरा चुनाव चिह्न चुरा सकते हैं ठाकरे नाम नहीं।

Vivek Kumar | Published : Feb 20, 2023 10:20 AM IST / Updated: Feb 20 2023, 03:54 PM IST

मुंबई। शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न (तीन-धनुष) को लेकर पार्टी के दो गुटों के बीच चल रही लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। चुनाव आयोग ने पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को आवंटित कर दिया है। इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। दूसरी ओर सोमवार को इस मामले को लेकर उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर जमकर निशाना साधा।

उद्धव ठाकरे ने कहा कि भगवान राम का धनुष रावण नहीं रख सकता। उन्होंने कहा, "पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न चुरा लिया गया, लेकिन वे ठाकरे नाम नहीं चुरा सकते। उन्हें बालासाहेब के बेटे के रूप में पैदा होने का सौभाग्य नहीं मिला है।" उद्धव ने कहा कि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि पार्टी का नाम और चिह्न सीधे एक गुट को दिया गया हो। ऐसे चुनाव आयोग को भंग कर देना चाहिए।

शिव सेना को खत्म करना चाहती है बीजेपी

उद्धव ने कहा कि उनका गुट 28 फरवरी तक मशाल चिह्न का इस्तेमाल करेगा। उन्होंने दावा किया कि पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न बीजेपी की साजिश के तहत छीना गया है। बीजेपी शिव सेना को खत्म करना चाहती है। दिल्ली में बैठे लोगों के पास यह तय करने की ताकत नहीं है कि हमारा भविष्य क्या होगा। उद्धव ने कहा, "अगर वे 2024 का लोकसभा चुनाव जीतते हैं तो "तानाशाही का नग्न नृत्य" शुरू हो जाएगा।

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शिंदे गुट को चुनौती देता हूं अपने पिता के नाम का इस्तेमाल कर चुनाव जीतें
उद्धव ठाकरे ने कहा, "मेरा सब कुछ चोरी कर लिया गया। हमारी पार्टी का नाम और चिह्न चोरी हो गया है, लेकिन 'ठाकरे' नाम चोरी नहीं हो सकता। मैं शिंदे गुट को चुनौती देता हूं कि वे मेरे पिता का नाम छोड़कर पार्टी बनाएं। वे अपने पिता के नाम का इस्तेमाल कर चुनाव जीतें। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, कल से सुनवाई शुरू होगी। व्हिप जारी करने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि वर्तमान में दो गुट हैं, जिन्हें चुनाव आयोग ने मान्यता दी है और उसी के आधार पर उन्हें नाम और चुनाव चिह्न मिला है। हम पहले ही इसे चुनौती दे चुके हैं।"

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