शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट को दूसरा बड़ा झटका: संसद में सेना ऑफिस पर भी शिंदे गुट का कब्जा, लोकसभा सचिवालय ने किया आवंटित

Published : Feb 21, 2023, 04:51 PM ISTUpdated : Feb 21, 2023, 09:06 PM IST
Parliament Budget Session 2023

सार

शिवसेना का नाम और सिंबल, चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है। इसको लेकर उद्धव ठाकरे गुट ने ऐतराज जताया है।

Shiv Sena row: शिवसेना (यूबीटी) को एक और बड़ा झटका लगा है। लोकसभा सचिवालय ने मंगलवार को एकनाथ शिंदे गुट केा शिवसेना का ऑफिस आवंटित कर दिया है। अब लोकसभा में भी शिंदे गुट का कब्जा हो गया है। सांसद राहुल शेवाले ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर ऑफिस आवंटित करने की मांग की थी। लोकसभा सचिवालय ने कहा कि संसद भवन में शिवसेना कार्यालय के लिए नामित कमरा पार्टी को आवंटित किया गया है। दरअसल, शिवसेना का नाम और सिंबल, चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है। इसको लेकर उद्धव ठाकरे गुट ने ऐतराज जताया है। पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग पर मोदी के गुलाम के रूप में काम करने का आरोप लगाया। कहा कि केंद्र में बीजेपी के इशारे पर शिंदे गुट को सिंबल और नाम आवंटित किया गया है। ठाकरे गुट ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी रूख अख्तियार किया है।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ करेगी सुनवाई

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ इस मसले की सुनवाई करेगी। शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट, नाम और सिंबल पर दावा करते हुए कोर्ट में पहुंचा है। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न तीर-कमान के इस्तेमाल का अधिकार एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया था। शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते हुए चुनाव आयोग ने ठाकरे पर पार्टी के संविधान में छेड़छाड़ करने का भी आरोप लगाया था। चुनाव आयोग के फैसले से ठाकरे परिवार को जबर्दस्त झटका लगा था। शिवसेना का गठन बाला साहेब ठाकरे ने 1966 में किया था।

आठ महीने पहले एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में विद्रोह कर दिया था। अधिकतर पार्टी विधायकों और सांसदों को अपने पक्ष में करते हुए महा विकास अघाड़ी की सरकार गिरा दी थी। इसके बाद महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था। फिर एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर महाराष्ट्र में सरकार बना ली। इसके बाद शिंदे ने शिवसेना पर दावा किया था। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। कोर्ट ने चुनाव आयोग को फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया था।

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