विस्थापन के 3 दशक बाद कश्मीरी पंडित क्या चाहते? सर्वे में चौकाने वाला खुलासा

Published : Jan 18, 2025, 04:19 PM IST
Atrocities on Kashmiri Pandits continue in Kashmir sarpanch Ajay pandita killing in anantnag KPS

सार

1990 के कश्मीर विस्थापन पर सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे। अधिकांश कश्मीरी वापसी की उम्मीद में हैं, लेकिन सुरक्षा चिंता बनी हुई है। संपत्ति संबंधी मुद्दे और बार-बार विस्थापन की पीड़ा भी सामने आई।

Kashmir Valley 1990 forced exodus survey: कश्मीर घाटी के लिए 1990 का दशक किसी न भरने वाले जख्म से कम नहीं। जबरिया विस्थापन का दर्द झेलने वाले कश्मीरियों और कश्मीरी पंडितों की पीढ़ियां इस दर्द को अपने सीने में दबाए जीवन गुजारने को मजबूर हैं। हालांकि, उनको उम्मीद है कि एक दिन वह अपने पुरखों की जमीन पर वापसी जरूर करेंगे। विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरियों की भाषा, कल्चर और हेरिटेज को कितना नुकसान पहुंचा इसको लेकर श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी और वेटस्टोन इंटरनेशनल नेटवर्किंग ने एक सर्वे किया। इस ‘पोस्ट एक्सोडस कल्चरल सर्वे’ के डेटा रिसर्च में यह साफ है कि अभी भी 62 प्रतिशत कश्मीरी लौटने की इच्छा रखते हैं। आईए जानते हैं सर्वे की पूरी रिपोर्ट...

घाटी में वापसी और पुनर्वास की उम्मीदें कायम...

सर्वे में शामिल कश्मीरियों में 62% कश्मीर लौटने की इच्छा रखते हैं। हालांकि, सुरक्षा उनकी प्राथमिक चिंता है। 42.8% का मानना है कि सरकारी सहायता से ग्रुप में पुनर्वास कराया जाना चाहिए। इन लोगों ने ग्रुप पुनर्वास को प्राथमिकता दी।

संपत्ति नहीं बेच रहे क्यों लौटने की उम्मीद बाकी...

सर्वे के अनुसार, 66.6% की संपत्तियां आज भी कश्मीर में हैं लेकिन 74.7% ने बताया कि वे बेकार पड़ी हैं। 1990 के दशक के तनावपूर्ण माहौल में 44.1% ने अपनी संपत्तियां बेच दी थीं। यह इसलिए क्योंकि वह मानते थे कि लौटना मुश्किल है लेकिन अधिकतर अभी भी वापसी की आस लगाए हुए हैं।

संपत्तियों को फिर से खरीदा...

कश्मीर से विस्थापित लोगों की अपनी घाटी व माटी से लगाव है कि सर्वे में शामिल 12 प्रतिशत से अधिक लोग ऐसे हैं जिन्होंने विस्थापन के बाद नई संपत्तियां खरीदी हैं। विस्थापन के बाद भी कश्मीर के प्रति उनका भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव कम नहीं हुआ है ना ही उनकी उम्मीदें टूटी है।

बारम्बार विस्थापित हुए लेकिन अपनी माटी का मोह नहीं छूटा

सर्वे में शामिल विस्थापित कश्मीरियों में 61.3% ने बताया कि वे तीन बार तक विस्थापित हो चुके हैं। 48.6% अब भी प्रवासी शिविरों में रह रहे हैं। लेकिन वह हर हाल में अपनी वापसी करना चाहते हैं लेकिन सरकारी कोशिशों से निराश हैं। वह अपने लंबे समय से विस्थापन को खत्म करते हुए स्थायी पुनर्वास चाहते हैं।

आर्थिक और राजनीतिक हाशिए पर रहना

सर्वेक्षण से पता चला कि 58.9% राजनीतिक भेदभाव का अनुभव कर रहे हैं, जबकि 63% ने पुनर्वास प्रयासों को लेकर चिंता व्यक्त की।

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