सिस्टर अभया केस : 28 साल बाद नन की हत्या के मामले में आया फैसला, पादरी और नन दोषी

तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) अदालत ने मंगलवार को एक 19 वर्षीय नन की मौत से संबंधित मामले में अपना फैसला सुनाया, जिसका शव केरल के कोट्टायम में 28 साल पहले एक कॉन्वेंट में एक कुएं में मिला था। इस मामले में एक पादरी और नन को दोषी ठहराया गया है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 22, 2020 7:16 AM IST

नेशनल डेस्क। तिरुवनंतपुरम (Thiruvananthapuram) में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) अदालत ने मंगलवार को एक 19 वर्षीय नन की मौत से संबंधित मामले में अपना फैसला सुनाया, जिसका शव केरल के कोट्टायम में 28 साल पहले एक कॉन्वेंट में एक कुएं में मिला था। इस मामले में एक पादरी और नन को दोषी ठहराया गया है। राज्य पुलिस ने शुरू में निष्कर्ष निकाला था कि नन ने आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की तीन बार जांच की गई। 

सीबीआई जांच
2009 में सीबीआई ने कैथोलिक पादरी थॉमस कोट्टूर, फादर जोस पथरुक्कायिल और सिस्टर सेफी पर नन की हत्या करने, सबूतों को नष्ट करने और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया। लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के बाद पिछले साल पथरुकायिल को इस मामले से अलग कर दिया गया था। मामले में सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया कि नन ने दो कैथोलिक पादरियों को कुछ यौन गतिविधियों में शामिल देख लिया था। इसीलिए उसकी हत्या कर दी गई। इसके पीछे वजह यह थी कि उन्हें डर था कि वह इस मामले का खुलासा कर सकती थी। इसमें कहा गया कि नन पर पहले एक कुल्हाड़ी से कथित तौर पर हमला किया गया और बाद में उसे कुएं में फेंक दिया गया।

Latest Videos

हत्या या आत्महत्या 
इस मामले में अपनी 3 रिपोर्टों में से पहली में सीबीआई ने कहा कि नन की मौत आत्महत्या का मामला था। लेकिन सीबीआई अदालत ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया और नए सिरे से जांच का आदेश दिया। अपनी दूसरी रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा कि यह संदिग्ध है कि यह आत्महत्या थी या हत्या। साल 2008 में दायर अपनी अंतिम रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा कि यह हत्या का मामला था और कोट्टूर, पुथ्रुकायिल और सेफी को गिरफ्तार किया गया।

मामले को कमजोर करने की हुई कोशिश
नन के लिए न्याय मांगने वाले अभियान का नेतृत्व करने वाले कार्यकर्ता जोमन पुथनपुरक्कल ने कहा कि इस मामले में तोड़फोड़ करने की कई कोशिशें हुईं। कई वरिष्ठ राजनेताओं और एक वरिष्ठ न्यायाधीश ने भी जांच में हस्तक्षेप किया था। उन्होंने मामले को कमजोर करने की पूरी कोशिश की थी। मामले की जांच करने वाले वर्गीज पी थॉमस ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि उनके वरिष्ठों द्वारा यह निष्कर्ष निकालने के लिए दबाव डाला गया कि यह आत्महत्या का मामला है।

बहुत लंबा चला मामला
यह मामला बहुत लंबा चला। सीबीआई ने 2018 में पूर्व पुलिस अधीक्षक के टी माइकल पर आरोप लगाया कि मामले में महत्वपूर्ण सबूत नष्ट करने से पहले केरल उच्च न्यायालय ने कार्रवाई को रोक दिया था, क्योंकि ज्यादातर गवाह होस्टाइल हो गए थे। 2008 में सेफी ने सीबीआई के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई और कहा कि उसे उसकी सहमति के बिना वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ा। नन के माता-पिता ने अपनी बेटी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी। इसी कानूनी लड़ाई के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
 

Share this article
click me!

Latest Videos

Chhath Puja 2024: कब है नहाए खाए, इस दिन क्या करें-क्या नहीं? जानें नियम
Almora Bus Accident: मंजिल तक पहुंचने से पहले ही खत्म हुए सफर... जानें क्यों तनाव में था ड्राइवर
BJP के ख़िलाफ़ जमकर दहाड़े AAP राज्यसभा सांसद संजय सिंह
'10 दिन में इस्तीफा दे सीएम योगी' जानें मुंबई पुलिस कंट्रोल रूम को क्या आया मैसेज
'वो आपकी बेटी छीन रहे हैं' ऐसा क्या बोले मोदी जो भाषण पर छिड़ा बवाल । PM Modi Speech