कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इसी बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सोनिया ने कहा, अब तक 50 किसान जान गंवा चुके हैं, अब भी समय है कि मोदी सरकार सत्ता का अंहकार छोड़कर तत्काल बिना शर्त तीनों काले कानून वापस ले और ठंड में दम तोड़ रहे किसानों का आंदोलन समाप्त कराए।
नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। इसी बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सोनिया ने कहा, अब तक 50 किसान जान गंवा चुके हैं, अब भी समय है कि मोदी सरकार सत्ता का अंहकार छोड़कर तत्काल बिना शर्त तीनों काले कानून वापस ले और ठंड में दम तोड़ रहे किसानों का आंदोलन समाप्त कराए। यही राजधर्म है और और दिवंगत किसानों के प्रति श्रद्धांजलि भी।
सोनिया गांधी ने बयान जारी कर कहा, आजादी के बाद देश के इतिहास की यह पहली ऐसी अहंकारी सरकार सत्ता में आई है, जिसे आम जनता तो दूर देश का पेट भरने वाले अन्नदाताओं की पीड़ा और संघर्ष भी नहीं दिखाई दे रहा। लगता है मुट्ठी भर उद्योगपति और उनका मुनाफा सुनिश्चिक करना ही सरकार का मुख्य एजेंडा बन गया है।
मेरा मन व्यथित- सोनिया गांधी
सोनिया ने कहा, हाड कंपकपाती ठंड और बरसात में दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के समर्थन में 39 दिनों से सर्घर्ष कर रहे अन्नदाताओं की हालत देखकर देशवासियों समेत मेरा मन भी बहुत व्यथित है।
मोदी सरकार का अब तक दिल तक नहीं पसीजा
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, आंदोलन को लेकर सरकार की बेरुखी के चलते 50 से अधिक किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। कुछ ने तो उपेक्षा के चलते आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लिया। लेकिन बेरहम मोदी सरकार का ना तो दिल पसीजा और ना ही आज तक पीएम या किसी मंत्री के मुंह से सांत्वना का एक शब्द निकला।
सोनिया ने कहा, लोकतंत्र में जनभावनाओं की उपेक्षा करने वाली सरकारें और उनके नेता लंबे वक्त तक शासन नहीं कर सकते। अब तक यह बिल्कुल साफ है कि मौजूदा सरकार थकाओ और भगाओ की नीति के सामने आंदोलनकारी धरती पुत्र किसान मजदूर घुटने टेकने वाले नहीं हैं।
बिना शर्त कानून वापस ले सरकार
सोनिया ने कहा, अब भी वक्त है कि मौदी सरकार सत्ता के अहंकार को छोड़कर तत्काल बिना शर्त तीनों काले कानून वापस लें और ठंड और बरसात में दम तोड़ रहे किसानों का आंदोलन समाप्त कराए। यही राजधर्म है और दिवंगत किसानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि भी।