Exclusive: इसरो सेंटर से श्री हरिकोटा कैसे पहुंचता है स्पेस क्राफ्ट, कैसी होती हैं तैयारियां

इसरो ने सफलतापूर्वक चंद्रयान 3 को पूरा कर लिया है और आने वाले समय में इसरो कई बड़े प्रोजेक्ट्स लांच करने वाला है। लेकिन इस दौरान आपको यह सवाल मथ रहा होगा कि आखिर इसरो सेंटर से श्रीहरि कोटा तक कैसे सारे उपकरण पहुंचते हैं।

 

Exclusive Interview. भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 मिशन पूरा कर लिया है। साथ ही आदित्य एल1 यानि सौर मिशन भी लांच कर दिया है। इन्हीं बातों को लेकर एशियानेेट न्यूज नेटवर्क ने इसरो चेयरमैन से विशेष बातचीत की है। चंद्रयान-3 मिशन को लेकर Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ से ISRO सेंटर में विस्तार बातचीत की। इस दौरान वो चीजें निकलकर आईं, जिनके बारे में लोगों को अब तक नहीं पता था।

कैसे श्रीहरिकोटा तक पहुंचते हैं सारे इक्विपमेंट्स

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हमने इसके लिए कंटेनर्स तैयार किया है और वहीं ट्रांसपोर्ट का जरिया होता है। जब हमारा ट्रांसपोर्ट होता है तो हम सिविल अथॉरिटीज को इसकी जानकारी देते हैं। इससे ट्रैफिक और सिक्योरिटी दोनों की व्यवस्था हो जाती है। हमारा ट्रैक क्लियर है, ऊंचाई वाले तारों को भी शिफ्ट किया गया है तो सामान्य तौर पर कोई समस्या नहीं आती है।

कैसा चल रहा है यह Aditya L1 मिशन

सोमनाथ- आदित्य एल1 ने पृथ्वी की कई कक्षाओं को सफलतापूर्वक पार कर लिया है। यह धरती से करीब 1.2 लाख किलोमीटर दूर है और लेग्रैगियन प्वाइंट्स की तरफ बढ़ रहा है। आदित्य का लास्ट बर्स्ट हो चुका है और वह टाग्रेट प्वाइंट की तरफ जा रहा है लेकिन धरती भी घूम रही है। सूर्य भी घूम रहा है, यानि इस मूविंग एरिया में वह गणितीय तौर पर एल1 की तरफ बढ़ेगा। हम आर्बिट डिटर्मिनेशन से लगातार मॉनिटर कर रहे हैं। 

हम लगातार मॉनिटर कर रहे हैं। हम डीप स्पेस नेटवर्क से मॉनिटर कर रहे हैं। हमने इसके लिए मैथमैटिकली कैलकुलेशन की है। आप समझ सकते हैं कि इस 15 लाख किलोमीटर की दूर तय करनी है, यह बहुत लंबी जर्नी है। अगर हम छोटी सी भी गलती करते हैं तो वहां लाखों किलोमीटर का एरर आ जाएगा। हम स्पेशली इसके लिए काम कर रहे हैं और करेक्शन करने की भी पूरी गुंजाइश है।

चंद्रयान 3 मिशन की सफलता

14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 मिशन देश के सबसे भारी रॉकेट GSLV लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) से लॉन्च किया गया।

- करीब 42 दिनों की यात्रा के बाद 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इस दौरान PM मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से वचुर्अल माध्यम के जरिए ISRO से जुड़े और पूरी प्रॉसेस देखी।

- इसके बाद विक्रम लैंडर के साथ गए प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर घूमकर पेलोड्स के जरिए नई जगहों की जांच-पड़ताल की।

- चांद की तस्वीरें भेजने और जांच-पड़ताल के बाद इसरो ने 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाला।

- हालांकि, 22 सितंबर को चांद पर एक बार फिर सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद लैंडर और रोवर के दोबारा एक्टिव होने का इंतजार है।

- बता दें कि भारत का चंद्रयान-3 मिशन दुनिया का सबसे सस्ता मून मिशन है। इस पर महज 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

WATCH इसरो चीफ एस. सोमनाथ का सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

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