बीएचयू में मुस्लिम शिक्षक का संस्कृत पढ़ाने से हुए विवाद पर वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है। उन्होंने मुस्लिम शिक्षक फिरोज खान का समर्थन किया है। उन्होंने लिखा, "क्या मुझे बता सकते हैं क्यों बीएचयू के कुछ छात्र मुस्लिम शिक्षक द्वारा संस्कृत पढ़ाने का विरोध कर रहे हैं।
नई दिल्ली. बीएचयू में मुस्लिम शिक्षक का संस्कृत पढ़ाने से हुए विवाद पर वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है। उन्होंने मुस्लिम शिक्षक फिरोज खान का समर्थन किया है। उन्होंने लिखा, "क्या मुझे बता सकते हैं क्यों बीएचयू के कुछ छात्र मुस्लिम शिक्षक द्वारा संस्कृत पढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। जब उन्हें नियत प्रक्रिया द्वारा चुना गया है? भारत के मुस्लिमों का डीएनए हिंदुओं के पूर्वजों जैसा ही है। यदि कुछ नियम है तो इसे बदल दें।"
मायावती ने भी किया ट्वीट
बसपा सुप्रीम मायावती ने ट्वीट किया, "बनारस हिन्दू केन्द्रीय विवि में संस्कृत के टीचर के रूप में पीएचडी स्कॉलर फिरोज खान को लेकर विवाद पर शासन/प्रशासन का ढुलमुल रवैया ही मामले को बेवजह तूल दे रहा है। कुछ लोगों द्वारा शिक्षा को धर्म/जाति की राजनीति से जोड़ने के कारण उपजे इस विवाद को कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, "बीएचयू द्वारा एक अति-उपयुक्त मुस्लिम संस्कृत विद्वान को अपने शिक्षक के रूप में नियुक्त करना टैलेन्ट को सही प्रश्रय देना ही माना जाएगा और इस सम्बंध में मनोबल गिराने वाला कोई भी काम किसी को करने की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए। सरकार इसपर तुरन्त समुचित ध्यान दे तो बेहतर होगा"
बीएचयू में संस्कृत शिक्षक पर क्या है विवाद?
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में फिरोज खान को संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त किए जाने का विवाद थम नहीं रहा है। प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर छात्र लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि, यूनिवर्सिटी साफ कर चुका है कि खान की नियुक्ति बीएचयू एक्ट, केंद्र सरकार और यूजीसी की गाइडलाइंस के तहत ही हुई है।
- नियुक्ति को लेकर जारी विरोध के बीच फिरोज खान बताते हैं, "उनके दादा गफूर खान राजस्थान में हिंदू समुदाय के लिए भजन गाते थे। उनके पिता रमजान खान भी अकसर संस्कृत पढ़ा करते थे। वे जयपुर के बागरु गांव में घर के पास बनी गोशाला में गायों की देखभाल करने के लिए लोगों से कहते थे। वे गो-संरक्षण को भी बढ़ावा देते हैं।"