SC की ऑक्सीजन पैनल रिपोर्ट के बाद दिल्ली सरकार की फजीहत, केंद्र की कोशिशों को सराहा गया

कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत में ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी गठित की थी। इस रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के झूठ को सामने लाकर रख दिया है, जबकि ऑक्सीजन प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की सराहना की गई है। 

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के शुरुआत में ऑक्सीजन की व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार की कोशिशों को सराहा है। सुप्रीम कोर्ट की ऑडिट पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2021 में दूसरी लहर आने पर ऑक्सीजन की मांग में भारी वृद्धि हुई थी। अप्रैल के तीसरे सप्ताह में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड एक दिन में 5,500 मीट्रिक टन (MT) तक पहुंच गई थी, जबकि चौथे सप्ताह तक यह हर रोज 7,100 मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी थी। ऑडिट पैनल ने ऑक्सीजन प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की है। दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की होड़ के बीच सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने 12 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया था और ऑक्सीजन डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम पर पैनल से ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी।

दिल्ली की फजीहत
सुप्रीम कोर्ट ऑडिट पैनल की रिपोर्ट सावर्जनिक होने के बाद सबसे अधिक फजीहत दिल्ली सरकार की हो रही है। कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने डिमांड से 4 गुना अधिक ऑक्सीजन ली थी। हालांकि यह रिपोर्ट अभी अधिकृत तौर पर सामने नहीं आई है, इसी वजह से दिल्ली सरकार इसे लेकर अपनी सफाई दे रही है। भाजपा इस मामले में दिल्ली सरकार को घेरने में लगी है, जबकि दिल्ली सरकार ऐसी किसी भी रिपोर्ट के आने से इनकार कर रही है।

Latest Videos

पहले जानें यह: ऑडिट पैनल ने केंद्र के एक्शन को सराहा
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर ऑक्सीजन की सप्लाई और डिमांड को मैनेज करने 12 सदस्यीय पैनल बनाया था। इस ऑडिट पैनल में एम्स, दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया, मैक्स हेल्थकेयर के क्लिनिकल डायरेक्टर एंड डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन डॉ. संदीप बुद्धिराजा, जलशक्ति मंत्रालय में प्रिंसिपल सेक्रेट्री सुबोध यादव, प्रिंसिपल सेक्रेट्री(होम) भूपिंदर एस. भल्ला, कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोसिव डॉ. संजय कुमार सिंह भी शामिल थे।

रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्र सरकार ने पिछले साल मार्च/अप्रैल, 2021 में महामारी को रोकने कई सक्रिय कदम उठाए थे। पिछले साल महामारी से निपटने केंद्र सरकार की कोशिशें काम आईं। यानी दूसरी लहर में महामारी से निपटने सिस्टम तैयार करने में मदद मिली। पहली लहर में केंद्र सरकार ने तरल ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के साथ अस्पतालों में सिलेंडर के माध्यम से तरल ऑक्सीजन(LMO) की भंडारण क्षमता बढ़ाने में कदम उठाए थे। पिछले साल सितंबर में आईएसओ कंटेनरों का आयात किया गया।

पहली लहर में केंद्र के इन प्रयासों को सराहा
केंद्र ने औद्योगिक गैस निर्माताओं को मेडिकल ऑक्सीजन बनाने के लिए लाइसेंस जारी किया। अधिकार प्राप्त समूह-2 (ईजी 2) यानी Empowered Group–2 (EG2)) के निर्देश पर तरल ऑक्सीजन के निर्माताओं ने तरल ऑक्सीजन के दैनिक उत्पादन में वृद्धि की। मोदीनगर (यूपी) और पुणे (महाराष्ट्र) में नई एलएमओ इकाइयां शुरू की गईं। स्टील प्लांट में उपलब्ध लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल मेडिकल ऑक्सीजन के लिए भी किया जाता था।

दूसरी लहर में ऑक्सीजन प्रबंधन
रिपोर्ट में कहा गया कि अप्रैल, 2021 में दूसरी लहर आने पर ऑक्सीजन की डिमांड में भारी वृद्धि हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 मई 2021 तक ऑक्सीजन की खपत प्रतिदिन 8943 मीट्रिक टन तक पहुंच गई थी। रिपोर्ट में ऑक्सीजन प्रबंधन से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का भी विवरण दिया गया है।

रिपोर्ट के आंकड़ों से दिल्ली सरकार की फजीहत
अप्रैल-मई के महीनों के दौरान कहा गया था कि दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी और कुछ सुविधाओं के अभाव में गंभीर कोविड -19 रोगियों की मौत हो गई थी। इसके बाद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच बयानों का दौर तेज हो गया था।  दिल्ली हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली को ऑक्सीजन देने के अलॉटमेंट को बदला, जिसके बाद ऑक्सीजन की आपूर्ति ज्यादा की जाने लगी थी। लेकिन ये आपूर्ति अन्य राज्यों के खाते से ऑक्सीजन को कम करके दिल्ली को की जा रही थी।
 
300 मीट्रिक टन की थी जरूरत, मांग लिया था 1200 मीट्रिक टन
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली को उस वक्त करीब 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने मांग बढ़ाकर 1200 मीट्रिक टन कर दी। ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की अत्यधिक मांग के कारण 12 अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ा, क्योंकि अन्य राज्यों की आपूर्ति को कम करके दिल्ली को दी जाने लगी थी। ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने पाया कि 13 मई को कई अस्पतालों में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं उतारा जा सका, क्योंकि उनके टैंक पहले से ही 75% से अधिक भरे हुए थे। दिल्ली सरकार ने दिखाया कि अस्पतालों में खपत 1140 मीट्रिक टन थी। लेकिन गलती सुधारने के बाद ऑक्सीजन की जरूरत घटकर 209 मीट्रिक टन रह गई।

 मनीष सिसोदिया ने कहा-ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है
रिपोर्ट पर बवाल मचने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का बयान सामने आया है। इसमें उन्होंने बीजेपी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। सिसोदिया ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि जब ऑक्सीजन कमेटी के सदस्यों ने अभी कोई रिपोर्ट अप्रूव ही नहीं की, तो ये रिपोर्ट कहां से आ गई? सिसोदिया ने कहा कि वे भाजपा को चुनौती देते हैं कि वे यह रिपोर्ट लेकर आएं।

केजरीवाल के झूठ के कारण 12 राज्य परेशान हुए
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा-ऑक्सीजन को लेकर जिस तरह की राजनीति अरविंद केजरीवाल सरकार ने किया आज उसका पर्दाफाश हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऑक्सीजन ऑडिट पैनल स्थापित किया था। उस पैनल की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली सरकार द्वारा ऑक्सीजन की जरूरत 4 गुना बढ़ाकर दिखाई गई थी। अरविंद केजरीवाल के इस झूठ के कारण 12 ऐसे राज्य थे जो अपने ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर प्रभावित हुए क्योंकि सभी जगहों से ऑक्सीजन काटकर दिल्ली भेजना पड़ा। अरविंद केजरीवाल कह रहे थे उनको बहुत ऑक्सीजन की आवश्यकता है। अरविंद केजरीवाल ने ये जघन्य अपराध किया है। 

दिल्ली सरकार को कभी माफ नहीं किया जा सकता है
भाजपा नेता मनोज तिवारी ने कहा- जो ऑक्सीजन दूसरे राज्यों को दी जा सकती थी, उसे यहां(दिल्ली) लाना पड़ा, जिसकी जरूरत नहीं थी। इस रिपोर्ट के बाद ये इन मौतों के जिम्मेदार कहे ही जाएंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पैनल को भाजपा बताना दूसरी गलती है, जिसके लिए इन लोगों को माफ नहीं किया जाना चाहिए। यह अमानवीय कृत्य है और इसके लिए अरविंद केजरीवाल को कानूनन  जरूर सजा मिलनी चाहिए।

 केजरीवाल ने की घिनौनी राजनीति
भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने कहा-दिल्ली के मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि जब सबको एकजुट होकर महामारी के खिलाफ लड़ना थी तब घबराहट क्यों पैदा की गई? 279 मीट्रिक टन की जरूरत थी तब क्यों बोला गया कि 1100 मीट्रिक टन की जरूरत है? आपने निजी अस्पतालों को क्यों कहा कि अपनी मांग बढ़ाकर केंद्र को बताइए? दिल्ली के मुख्यमंत्री हर चीज में झूठ बोलकर निकल नहीं सकते। वे देश की जनता से माफी मांगें। ऐसे वक्त में भी इतनी घिनौनी राजनीति सिर्फ एक ही व्यक्ति कर सकता है और उसका नाम अरविंद केजरीवाल है।

केजरीवाल बोले-मेरा गुनाह है कि मैं 2 करोड़ लोगों की सांसों के लिए लड़ा
मामले के तूल पकड़ने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि उनका गुनाह है कि वे 2 करोड़ लोगों की सांसों के लिए लड़े। उन्होंने मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब आप चुनावी रैलियां कर रहे थे, तब मैं रातभर जागकर ऑक्सीजन का इंतजाम कर रहा था।

 

Share this article
click me!

Latest Videos

जेल से बाहर क्यों है Adani? Rahul Gandhi ने सवाल का दे दिया जवाब #Shorts
ठहाके लगाकर हंसी फिर शरमा गईं IAS Tina Dabi, महिलाओं ने ऐसा क्या कहा जो गुलाबी हो गया चेहरा
UP By Election Exit Poll: उपचुनाव में कितनी सीटें जीत रहे अखिलेश यादव, कहां चला योगी का मैजिक
महाराष्ट्र-झारखंड में किसकी बनेगी सरकार, चौंका रहे एग्जिट पोल। Maharashtra Jharkhand Exit Poll
Maharashtra Jharkhand Exit Poll से क्यों बढ़ेगी नीतीश और मोदी के हनुमान की बेचैनी, नहीं डोलेगा मन!