तमिलनाडु के गवर्नर को सुप्रीम कोर्ट से फिर फटकार, CJI ने केंद्र से पूछा-राज्यपाल संविधान का पालन नहीं करते तो आप क्या कर रहे?

द्रमुक नेता के पोनमुडी को मंत्रिमंडल में शामिल करने से इनकार करने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्र से पूछा कि अगर राज्यपाल संविधान का पालन नहीं करते हैं तो सरकार क्या करती है?

 

Dheerendra Gopal | Published : Mar 21, 2024 10:30 AM IST / Updated: Mar 21 2024, 05:04 PM IST

Supreme Court raps Tamil Nadu Governor: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि को कड़ी फटकार लगाई है। द्रमुक नेता के पोनमुडी को मंत्रिमंडल में शामिल करने से इनकार करने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्र से पूछा कि अगर राज्यपाल संविधान का पालन नहीं करते हैं तो सरकार क्या करती है?

सुप्रीम कोर्ट ने आरएन रवि को दिया एक दिन का समय

सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर आरएन रवि के कार्यव्यवहार पर सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार को भी नसीहत दी। सीजेआई ने साफ तौर पर कहा कि अगर राज्यपाल संविधान का पालन नहीं कर रहे हैं तो केंद्र सरकार क्या कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राज्यपाल आरएन रवि को एक दिन का मौका दिया कि वह तमिलनाडु सरकार में मंत्री के रूप में द्रमुक नेता के पोनमुडी को शपथ दिलाएं। बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं।

क्या है पोनमुडी के मंत्रिमंडल में शामिल करने का मामला?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य मंत्रिमंडल में डीएमके नेता के पोनमुडी को शामिल करने के लिए राज्यपाल को कहा था। लेकिन राज्यपाल आरएन रवि ने स्टालिन सरकार में पोनमुडी को मंत्री नियुक्त करने से इनकार कर दिया था। राज्यपाल के इनकार के बाद स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा।

मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में संपत्ति मामले में के पोनमुडी को बरी किए जाने के फैसले को पलटने के बाद उनको विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि और दो साल की जेल की सजा पर रोक लगा दी। राज्य सरकार ने तब उन्हें मंत्री पद पर बहाल करने की मांग की थी। राज्य सरकार के अनुरोध को राज्यपाल आरएन रवि ने साफ तौर पर ठुकराते हुए यह कहा कि उनकी सजा केवल निलंबित है, इसलिए उनको मंत्री नहीं बना सकते।

यह भी पढ़ें:

पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होगी

Share this article
click me!