जेल में प्रताड़ना दया का आधार नहीं...यह कहते हुए SC ने खारिज कर दी निर्भया के दोषी मुकेश की याचिका

अक्षय सिंह की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। पांच जजों की पीठ इन चेंबर में अक्षय की याचिका पर दोपहर 1 बजे सुनवाई करेगी। इससे पहले दोषी मुकेश और विनय की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 29, 2020 2:55 PM IST

नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप और मर्डर के दोषियों में शामिल अक्षय सिंह की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। पांच जजों की पीठ इन चेंबर में अक्षय की याचिका पर दोपहर 1 बजे सुनवाई करेगी। पांच जजों की पीठ में जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस रोहिंगटन फली नरीमन, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण शामिल रहेंगे। इससे पहले दोषी मुकेश और विनय की क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। गौरतलब है कि निर्भया के दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी दी जानी है।

मुकेश की याचिका हुई खारिज 

जैसे-जैसे मौत की तारीख नजदीक आ रही है। निर्भया के दोषियों की धड़कने और तेज होती जी रही है। दोषी बचने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं। जिसमें दोषी मुकेश ने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। 

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने यह फैसला सुनाया। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने खुद को संतुष्ट करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजे गए सारे दस्तावेजों को देखा। गृह मंत्रालय ने सारे दस्तावेज राष्ट्रपति को भेजे थे। याचिका में कोई मेरिट नहीं है। जेल में प्रताड़ना दया के लिए कोई आधार नहीं है। 

मंगलवार को पूरी हुई थी सुनवाई 

निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली। वहीं, निर्भया मामले में एक और दोषी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को क्यूरेटिव याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट इससे पहले दो दोषियों विनय और मुकेश की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर चुका है। 

22 जनवरी को दी जानी थी फांसी

निर्भया की मां आशा देवी ने दोषियों को फांसी पर लटकाने यानी डेथ वारंट जारी करने के लिए दिल्ली के पटियाला कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस पर 7 जनवरी को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने डेथ वारंट जारी कर दिया। जिसमें कोर्ट ने निर्भया के चारों दरिंदों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे फांसी पर लटकाए जाने का आदेश जारी किया। जिसके बाद दोषियों ने कानूनी दांव पेंच का इस्तेमाल करते हुए तारीख को टलवा दी।

क्या है पूरा मामला

दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। 

बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

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