दो - तीन साल में कश्मीर से खत्म होने लगेगा आतंकवाद, 10 साल में पूरी तरह होगा सफाया : पूर्व आर्मी चीफ

Published : Dec 22, 2021, 09:01 PM IST
दो - तीन साल में कश्मीर से खत्म होने लगेगा आतंकवाद, 10 साल में पूरी तरह होगा सफाया : पूर्व आर्मी चीफ

सार

विज की एक किताब ‘द कश्मीर कॉनड्रम: द क्वेस्ट फॉर पीस इन ए ट्रबल्ड लैंड' में उन्होंने इसका जिक्र किया है। इस किताब में जम्मू कश्मीर और वहां के लोगों के इतिहास के साथ विशेष दर्जा वापस लिए जाने तक की कहानी है।

नई दिल्ली। पूर्व आर्मी चीफ (Army Chief) जनरल एन सी विज का कहना है कि कश्मीर (Kashmir)में दो-तीन साल के बाद आतंकवाद धीरे-धीरे खत्म होना शुरू हो जाएगा। 8-10 साल में यह आतंकवाद के प्रभाव से बिल्कुल मुक्त हो जाएगा। विज की एक किताब ‘द कश्मीर कॉनड्रम: द क्वेस्ट फॉर पीस इन ए ट्रबल्ड लैंड' में उन्होंने इसका जिक्र किया है। इस किताब में जम्मू कश्मीर और वहां के लोगों के इतिहास के साथ विशेष दर्जा वापस लिए जाने तक की कहानी है। जम्मू कश्मीर के ही रहने वाले विज ने कहा- इस क्षेत्र में आतंकवाद के जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है। इसमें 8 से 10 साल लग सकते हैं, लेकिन समय के साथ असर कम होने की संभावना है, क्योंकि पाकिस्तान की शरारत करने की क्षमता भी कम हो जाएगी।

अनुच्छेद 370 हटने से आतंकवाद को करारा झटका
पूर्व थल सेना प्रमुख ने कहा कि मुझे भरोसा है कि 5 और 6 अगस्त 2019 के महत्वपूर्ण घटनाक्रम (अनुच्छेद 370 हटाना) ने कश्मीर में आतंकवाद को करारा झटका दिया। ‘हार्पर कॉलिंस इंडिया' द्वारा प्रकाशित किताब में विज ने कहा है कि एक आक्रामक स्थिति से पाकिस्तान और अलगाववादी अपने लिए लड़ने और बचाव करने तक सीमित हो गए हैं। अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने से कश्मीरियों के लिए नई दुविधा पैदा हो गई है। उन्होंने अपना विशेष दर्जा खो दिया है। इसने उन्हें हमेशा खुद को शेष भारत से अलग समझने के लिए प्रेरित किया था। अब, उन्हें डर है कि वे अपने ही गृह राज्य में अल्पसंख्यक हो जाएंगे।

हताश स्थिति में है पाकिस्तान
विज ने यह भी कहा कि भारत ने पाकिस्तान को एक हताश स्थिति में पहुंचा दिया है और यह साफ हो गया है कि देश किसी भी क्षेत्र में, चाहे वह राजनयिक, आर्थिक या सैन्य क्षेत्र हो भारत से उसका कोई मुकाबला नहीं है। विज ने कहा- पाकिस्तान पर कश्मीरियों की निर्भरता शायद एक बड़ी गलती थी, जिसके लिए उन्होंने कीमत चुकाई है। वास्तव में, पाकिस्तान में शामिल होने या आजाद होने की उनकी इच्छा एक खोई हुई उम्मीद बन गई है। 

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