राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े इस महान संत का निधन, PM मोदी ने कहा, 'लोगों के दिमाग में हमेशा बने रहेंगे'

कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के प्रमुख श्री विश्वेश तीर्थ स्वामीजी का रविवार को निधन हो गया। मठ के सूत्रों ने बताया कि वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे।

Asianet News Hindi | Published : Dec 29, 2019 11:23 AM IST

बेंगलुरु. कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के प्रमुख श्री विश्वेश तीर्थ स्वामीजी का रविवार को निधन हो गया। मठ के सूत्रों ने बताया कि वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक गुरुओं में से एक, 88 वर्षीय स्वामी जी को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के चलते कुछ दिन पहले मणिपाल स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था और रविवार सुबह उनका निधन हो गया। वह पेजावर मठ के 33वें प्रमुख थे।

वह विश्व हिंदू परिषद् के राम जन्मभूमि आंदोलन से भी करीब से जुड़े रहे थे। कर्नाटक सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की। मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार यहां उनके द्वारा ही स्थापित विद्यापीठ में किया जाएगा। 800 साल पहले द्वैतवादी दार्शनिक श्री माधवाचार्य द्वारा स्थापित अष्ट (आठ) मठों के सबसे वरिष्ठ संत विश्वेश तीर्थ को 19 दिसंबर को सांस लेने की समस्या के कारण पास के मणिपाल के केएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

पेजवार मठ ले जाया गया पार्थिव शरीर 
सूत्रों ने बताया कि शनिवार रात को उनके कई अंग ने काम करना बंद कर दिया था, जिसके बाद उन्हें उडुपी के पेजवार मठ ले जाया गया, जैसा कि स्वामीजी ने पहले इसको लेकर अपनी इच्छा जतायी थी। वहाँ से, स्वामीजी के पार्थिव शरीर को बाद में आठ सदी पुराने उडुपी के श्रीकृष्ण मठ ले जाया गया। येदियुरप्पा ने दिवंगत संत को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके शरीर पर एक राष्ट्रीय ध्वज रखा। उनका पार्थिव शरीर भगवा रंग के कपड़े में लिपटा था और उन्हें तुलसी की माला पहनाई गई थी। पुलिसकर्मियों ने बंदूक की सलामी दी। राज्य के मंत्रियों के साथ भाजपा और संघ परिवार के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मठ के सूत्रों ने बताया कि स्वामीजी के पार्थिव शरीर को दोपहर बाद विमान से बेंगलुरु ले जाया जाएगा, जहां इसे नेशनल कॉलेज के मैदान में शाम 4 बजे से जनता के दर्शन के लिए रखा जाएगा। पारंपरिक अनुष्ठानों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार शाम को बेंगलुरु के विद्यापीठ में किया जाएगा। 27 अप्रैल, 1931 को रामाकुंज में जन्मे स्वामीजी ने 3 दिसंबर, 1938 को सांसारिक सुखों का त्याग करने और धर्म के मार्ग पर चलने का फैसला कर लिया था और संन्यासी बन गए थे।

स्वामीजी को उनकी सामाजिक पहल के लिए सम्मानित किया गया था, जिसमें दशकों पहले दलित कॉलोनियों का दौरा करना भी शामिल था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने स्वामी विश्वेश तीर्थ के निधन पर संवेदना प्रकट की। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीजी लाखों लोगों के दिलों में हमेशा बने रहेंगे। बीमार चल रहे 88 वर्षीय स्वामी विश्वेश तीर्थ का रविवार को निधन हो गया।

अध्यात्म और सेवा के शक्तिपुंज थे स्वामी- पीएम मोदी 
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘उडुपी के श्री पेजावर मठ के श्री विश्वेश तीर्थ स्वामीजी उन लाखों लोगों के दिलो-दिमाग में बने रहेंगे, जिनके लिए वह हमेशा मार्गदर्शक की भूमिका में रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अध्यात्म और सेवा के शक्तिपुंज थे और उन्होंने अधिक न्यायपूर्ण और करुणामय समाज के लिए लगातार काम किया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं कि श्री विश्वेश तीर्थ स्वामीजी से कई बार सीखने का मौका मिला। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हमारी हाल की मुलाकात भी यादगार है। उनका असाधारण ज्ञान हमेशा ही ध्यान आकर्षित करने वाला रहा। उनके अनगिनत अनुयायियों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं। ऊँ शांति।’’

कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘स्वामीजी के निधन से हिंदू धर्म ने एक प्रमुख मार्गदर्शक खो दिया।’’ उन्होंने दलितों के साथ ‘सहभोजन’ किया था, जो हिंदू धर्म में असमानता की आवाज को कम करने के लिए एक कदम था। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा, ‘‘हिंदू धर्म के उत्थान में उनका योगदान अमर है। यह दुखद है कि वे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साक्षी नहीं बन सकें।’’

 

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