कोरोना महामारी में जब पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति से उबरने से जद्दोजहद कर रही है तो उस वक्त भारतीय अर्थव्यवस्था की साख विदेशी निवेशकों की नजर में बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय इक्विटी बाजारों में भारी विदेशी निवेश इस बात की गवाही दे रहा है।
नई दिल्ली। कोरोना महामारी में जब पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति से उबरने से जद्दोजहद कर रही है तो उस वक्त भारतीय अर्थव्यवस्था की साख विदेशी निवेशकों की नजर में बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय इक्विटी बाजारों में भारी विदेशी निवेश इस बात की गवाही दे रहा है। भारतीय इक्विटी बाजारों में वित्तीय वर्ष में 2,74,034 करोड़ रुपये विदेशी पोर्टफोलियो निवेश हुआ है। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने यह आंकड़ा जारी किया है।
तेज गति के आर्थिक सुधार ने बढ़ाया विदेशी निवेशकों का विश्वास
कोरोना महामारी के दौरान तबाह हो चुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार की नीतियों ने काफी व्यापक सुधार किए। विभिन्न चरणों में आर्थिक पैकेजों व आर्थिक सुधार नीतियों के चलते अर्थव्यवस्था में काफी बेहतरी दिखने लगी है। सरकार और नियामकों ने हाल के दिनों में एफपीआई के जरिए निवेश बढ़ाने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए हैं। एफपीआई रेगुलेटरी में बदलाव, आॅनलाइन काॅमन एप्लीकेशन फार्म का संचालन, सेबी के साथ रजिस्ट्रेशन, पैन का आवंटन, बैंक खाते व डीमेट अकांउट खोलने के सहुलियतें दी।
भारतीय कंपनियों में निवेश सीमा की बढ़ोतरी
भारतीय कंपनियों में एफपीआई निवेश सीमा में 24 प्रतिशत तक सेक्टेरल कैप को बढ़ाया गया। इससे बड़े पैमाने पर इक्विटी प्रवाह, एक्टिव व पैसिव तरीके से भारतीय बाजारों तक पहुंचा।
देश की विकास दर दस फीसदी से अधिक रहेगा
वित्त वर्ष 2021-22 में अनुमान लगाया जा रहा है कि देश का विकास दर दस प्रतिशत से अधिक ही रहेगा। विश्व बैंक, आईएफएफ सहित कई विश्वस्तरीय रिसर्च एसोसिएशन भारत के विकास दर में खासी बढ़ोतरी की बात कह रहे।