दिल्ली महिला आयोग ने यहां की एक अदालत से उन्नाव बलात्कार पीड़िता के परिजनों को ठहराने की व्यवस्था करने के लिए और सात दिनों का वक्त मांगा है। दरअसल, आयोग परिवार के साथ रखे गये सुरक्षा कर्मियों को ठहराने के लिये आवासीय इंतजाम करने में समस्या का सामना कर रहा है।
नई दिल्ली. दिल्ली महिला आयोग ने यहां की एक अदालत से उन्नाव बलात्कार पीड़िता के परिजनों को ठहराने की व्यवस्था करने के लिए और सात दिनों का वक्त मांगा है। दरअसल, आयोग परिवार के साथ रखे गये सुरक्षा कर्मियों को ठहराने के लिये आवासीय इंतजाम करने में समस्या का सामना कर रहा है। भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने 2017 में पीड़िता का कथित यौन उत्पीड़न किया था। पीड़िता और उसके परिजनों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सुरक्षा मिली हुई है।
पीड़िता, परिजनों को CRPF सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश
इस साल 28 जुलाई को एक सड़क हादसे में पीडिता के गंभीर रूप से घायल हो जाने और उसकी चाची औऱ मौसी की इस हादसे में मौत हो जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने पीड़िता और उसके परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया था। मामले से जुड़े एक अधिवक्ता ने बताया कि बंद कमरे में हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली महिला आयोग ने जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा की अदालत में यह दलील दी। आयोग ने पीड़िता और उसके परिवार तथा सुरक्षाकर्मियों के लिए आवास की व्यवस्था करने के लिए और सात दिनों का वक्त मांगा। आयोग ने 10 अक्टूबर को अदालत से कहा था कि उसने कुछ आवासीय परिसरों की पहचान की है, लेकिन इसे अंतिम रूप देने के लिए सात दिन का समय मांगा था ।
ट्रामा सेंटर के हॉस्टल में रह रहे पीड़िता और परिजन
अदालत के आदेशों के अनुसार ये लोग अभी यहां एम्स के जय प्रकाश नारायण ट्रामा सेंटर के हॉस्टल में रह रहे हैं। पीड़िता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि मकान मालिक कम समय के लिए और मामले की पृष्ठभूमि के कारण अपना मकान देने से मना कर रहे हैं। इस पर अदालत ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष से कहा कि पीड़िता के परिवार एवं सुरक्षा कर्मियों को आवासीय परिसर ढूंढने में सहायता करने के लिए दो लोगों की एक टीम का बनाये। पीड़िता के परिवार ने इससे पहले अदालत से कहा था कि वह राष्ट्रीय राजधानी में रहना चाहते हैं क्योंकि उन्हें अपने गृह प्रदेश उत्तर प्रदेश में खतरे की आशंका है।