UP Chunav 2022: दो लड़कों वाला खेल पहले भी देखा था, उन्होंने 'गुजरात के दो गदहे' कहा था: नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार की शाम न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि हमने दो लड़कों वाला खेल पहले भी देखा है। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी का नाम लिए बिना पीएम ने कहा कि उन्होंने 'गुजरात के दो गदहे' शब्द का प्रयोग किया था।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में सात चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव (UP election 2022) के पहले चरण के लिए गुरुवार को मतदान होगा। मतदान से पहले न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने वंशवाद के बहाने समाजवादी पार्टी पर खूब हमला बोला। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि हमने दो लड़कों वाला खेल पहले भी देखा है। 

प्रधानमंत्री ने कहा, "उत्तरप्रदेश के दो लड़कों (अखिलेश यादव और जयंत चौधरी) की जोड़ी को हमने पहले भी देखा है। पहले इनमें इस कदर अहंकार भरा था कि गुजरात के दो गदहे यह शब्द का प्रयोग किया था। उत्तर प्रदेश की जनता ने उनको हिसाब दिखा दिया था। एक बार तो दो लड़के भी थे और उनकी बुआजी भी उनके साथ थीं, फिर भी उनका हाल नहीं बना। उत्तर प्रदेश इस प्रकार के जोड़ से नहीं चलेगा। 25 साल पर चुनाव लड़ने का हक मिलता है, लेकिन कोई पिता कहे कि मेरे दो बेटे हैं एक की उम्र 10 साल है और एक की 15 साल। दोनों को मिलाकर 25 साल हुए। इन्हें चुनाव लड़ने दो। क्या ऐसा हो सकता है? क्या इस प्रकार के मेलजोल से काम चल सकता है?"

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वंशवाद है नकली समाजवाद 
समाजवाद पर पूछे गए सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के पास व्यापार करने के लिए कोई व्यवसाय नहीं है। इसका काम गरीबों के लिए भोजन के बारे में सोचना, उनके लिए घर और शौचालय बनाना, उन्हें पीने का साफ पानी दिलाना, उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना, सड़कें बनाना, छोटे किसानों के बारे में सोचना है। यह मेरी प्राथमिकता है। अगर कोई इसे समाजवाद कहता है, तो मैं इसे स्वीकार करता हूं। 

पीएम ने कहा कि जब मैं नकली समाजवाद की बात करता हूं तो यह वंशवाद के बारे में है। क्या आप लोहिया जी, जॉर्ज फर्नांडीस, नीतीश कुमार के परिवारों को देख सकते हैं? वे समाजवादी हैं। मुझे किसी ने पत्र भेजा था कि सपा प्रमुख के परिवार से 45 लोग ऐसे थे जो किसी न किसी पद पर थे। उनके पूरे परिवार में 25 साल के उम्र तक करीब-करीब सभी लोगों को चुनाव लड़ने का मौका दिया गया। यह परिवारवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है। राजनीतिक दलों का लोकतांत्रिककरण जरूरी है।

 

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