PM मोदी का आक्रोश-'अर्बन नक्सलियों ने सालों सरदार सरोवर बांध का काम रोके रखा, ये लोग अभी भी सक्रिय हैं'

मोदी ने कहा- "शहरी नक्सलियों और राजनीतिक समर्थन वाले विकास विरोधी तत्वों ने एक अभियान चलाकर सरदार सरोवर बांध के निर्माण को यह कहकर रुकवा दिया था कि परियोजना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी। इस देरी के कारण भारी मात्रा में धन बर्बाद हो गया था।

अहमदाबाद.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी( Prime Minister Narendra Modi ) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राजनीतिक समर्थन से शहरी नक्सलियों और विकास विरोधी तत्वों(urban Naxals and anti-development elements) ने गुजरात में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण को कई वर्षों तक रोके रखा। कहा गया कि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा। ऐसे शहरी नक्सली अभी भी सक्रिय हैं और पर्यावरण संरक्षण(environment protection) के नाम पर विकास परियोजनाओं(development projects ) को रोकने के लिए विभिन्न संस्थानों से समर्थन प्राप्त कर रहे हैं। 

मोदी ने यह बात आज (23 सितंबर) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के एकता नगर में आयोजित पर्यावरण मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन(National Conference of Environment Ministers) के उद्घाटन पर कही। यह सम्मेलन लाइफ, जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक कचरे से निपटने, वन्यजीव और वन प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। मोदी ने विभिन्न राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि परियोजनाओं का उद्देश्य 'व्यापार करने में आसानी' या 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' लाना है। जीवन का 'अनावश्यक रूप से रुकना नहीं है।

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जानिए मोदी ने और क्या कहा
मोदी ने कहा कि राज्य सरकारों से ऐसे लोगों की साजिश का मुकाबला करने के लिए पर्यावरण मंजूरी देने में एक बैलेंज अप्रोच अपनाने के लिए भी कहा। मोदी ने कहा- "शहरी नक्सलियों और राजनीतिक समर्थन वाले विकास विरोधी तत्वों ने एक अभियान चलाकर सरदार सरोवर बांध के निर्माण को यह कहकर रुकवा दिया था कि परियोजना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी। इस देरी के कारण भारी मात्रा में धन बर्बाद हो गया था। मोदी ने कहा-अब, जब बांध पूरा हो गया है, आप बहुत अच्छी तरह से आंक सकते हैं कि उनके दावे कितने संदिग्ध थे।" 

मोदी ने कहा कि इस दावे के विपरीत कि परियोजना से पर्यावरण को नुकसान होगा, बांध के आसपास का क्षेत्र अब पर्यावरण प्रेमियों के लिए "तीर्थक्षेत्र" या तीर्थ स्थान बन गया है। मोदी प्रसिद्ध 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' और कई आइकॉनिक टूरिस्ट अट्रेक्शंस का जिक्र कर रहे थे। जैसे जंगल सफारी, फूलों की घाटी, और कई उद्यान जो 182 मीटर ऊंचे स्मारक के पास हैं।

अर्बन नक्सलवाद कौन हैं?
बता दें कि नक्सलवाद के प्रति सहानुभूति रखने वालों के साथ-साथ कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का वर्णन करने के लिए राजनीतिक स्पेक्ट्रम के कुछ हिस्सों द्वारा 'अर्बन नक्सल' शब्द का इस्तेमाल अक्सर किया जाता है। पिछले महीने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी आरोप लगाया था कि शहरी नक्सलियों ने राज्य और कच्छ क्षेत्र को सरदार सरोवर का पानी और विकास से वंचित करने के लिए सरदार सरोवर बांध का विरोध किया था। उन्होंने कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को अर्बन नक्सल करार दिया था।

अब पीएम मोदी ने मंत्रियों को आगाह करते हुए कहा कि शहरी नक्सली अभी भी सक्रिय हैं और पर्यावरण संरक्षण के नाम पर विकास परियोजनाओं को रोकने के लिए विभिन्न संस्थानों के साथ-साथ राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त करते हैं। मोदी ने कहा-"ये लोग न्यायपालिका और विश्व बैंक को भी प्रभावित करके परियोजनाओं को रुकवाते हैं। मोदी ने कहा- "मैं आपसे यह सुनिश्चित करने का आग्रह करता हूं कि पर्यावरण के नाम पर 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' या 'ईज ऑफ लाइफ' लाने वाली परियोजनाओं को अनावश्यक रूप से ठप न किया जाए।" 
        
पर्यावरणीय मंजूरी में देरी पर नाराज हुए पीएम
विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यावरणीय मंजूरी जारी करने में अनावश्यक देरी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि विकास तभी गति पकड़ेगा, जब ये मंजूरी जल्दी दी जाएगी, जिसे बिना किसी समझौते के किया जाना चाहिए। "पर्यावरण मंजूरी के लिए लगभग 6,000 आवेदन और वन मंजूरी के लिए लगभग 6,500 अभी भी विभिन्न राज्यों में लंबित हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस तरह की पेंडेंसी परियोजना लागत को बढ़ाती है। हम सभी को इस पेंडेंसी को कम करने का प्रयास करने की आवश्यकता है। केवल जेन्यून(genuine) को ही लंबित रखा जाना चाहिए।"

मोदी ने कहा कि तेजी से पर्यावरण मंजूरी देना अर्थव्यवस्था और पर्यावरण दोनों के लिए फायदे का सौदा साबित होगा। प्रधान मंत्री ने ट्रैफिक फ्लो को आसान बनाने के उद्देश्य से दिल्ली में हाल ही में निर्मित प्रगति मैदान सुरंग का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "इस सुरंग के इस्तेमाल से वाहन हर साल करीब 55 लाख लीटर ईंधन की बचत कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "इससे 13,000 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। हमें इतने कार्बन को अवशोषित करने के लिए छह लाख पेड़ों की आवश्यकता होगी। फ्लाईओवर, सड़क और रेलवे परियोजनाएं कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करती हैं। पर्यावरण मंजूरी देते समय इस कोण को अनदेखा न करें।"

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इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने वन कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने, जंगल की आग से निपटने के तंत्र को मजबूत करने, सूखे पत्तों जैसे जंगल के कचरे का उपयोग करके, औद्योगिक ईंधन का उत्पादन करने और बेहतर परिणाम के लिए सहभागी और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने राज्यों से पुराने और अनुपयुक्त सरकारी वाहनों को पहले स्क्रैप करके केंद्र की वाहन कबाड़ नीति को लागू करने पर काम करना शुरू करने का भी आग्रह किया, ताकि प्रक्रिया शुरू हो सके। मोदी ने कहा-"मैं यह भी चाहता हूं कि राज्य जितना संभव हो सके अपने आधिकारिक वाहनों में जैव-ईंधन का उपयोग करके जैव-ईंधन नीति पर काम करना शुरू करें। हमें नीति का मालिक होना चाहिए।

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