Video: उत्तराखंड में फिर घटी मास हिस्टीरिया की घटना, कॉलेज आते ही झूमने-चीखने लगीं लड़कियां, विशेषज्ञों ने बताया वजह

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में गुरुवार को मास हिस्टीरिया (Mass Hysteria) की घटना घटी। करीब एक दर्जन लड़कियां अचानक झूमने और चीखने-चिल्लाने लगीं। विशेषज्ञों ने इस घटना की वजह बाढ़ से होने वाली तबाही को बताया है।

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी के धौंतरी के कमद में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज की नई बिल्डिंग में प्रवेश करते ही करीब एक दर्जन लड़कियां चीखने-चिल्लाने लगीं। लड़कियां इस तरह झूम रहीं थी जैसे मानों उनपर किसी और का कंट्रोल हो गया हो। मास हिस्टीरिया की इस घटना ने सनसनी फैला दी है। विशेषज्ञों ने इस घटना के लिए बाढ़ से होने वाली तबाही को जिम्मेदार बताया है।

 

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कई महीने पहले उत्तरकाशी के चंपावत में भी मास हिस्टीरिया की घटना हुई थी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में स्कूल की छात्राएं झूमतीं और चीखती-चिल्लाती दिखीं थीं। उनमें मास हिस्टीरिया के लक्षण दिखाई दिए थे। 

गुरुवार को मास हिस्टीरिया की घटना उत्तरकाशी के धौंतरी क्षेत्र स्थित कमद के राजकीय इंटर कॉलेज में घटी। बाढ़ की विभीषिका झेलकर आईं करीब एक दर्जन छात्राएं कॉलेज के नए भवन में गईं तो उनपर ऐसा असर हुआ कि वे चीखने-चिल्लाने लगीं। कॉलेज में एक दिन पहले दो लड़कियां ऐसे ही मामले में बेहोश हो गईं थीं।

स्थानीय लोग मान रहे दैवीय शक्तियों का प्रभाव

मास हिस्टीरिया की इस घटना के लिए स्थानीय लोग दैवीय शक्तियों को जिम्मेदार मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा स्थानीय देवताओं के प्रकोप के चलते हो रहा है। वहीं, मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यह सामूहिक उन्माद का मामला है। लड़कियों ने बारिश और बाढ़ में बड़े पैमाने पर विनाश देखा था। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है।

उत्तरकाशी के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर आरसीएस पनवार ने बताया कि यह घटना मानसिक समस्या लग रही है। हमारी टीम ने मामला समझने के लिए उन लड़कियों से बात की जो मास हिस्टीरिया का शिकार हुईं। कुछ लड़कियों ने कहा कि उन्हें नई बिल्डिंग को लेकर सपने आए थे। वे बिल्डिंग में घुसने से डर रहीं थीं। हमने इस मामले को देखने के लिए मनोवैज्ञानिक को लगाया है।

क्या है मास हिस्टीरिया?
गौरतलब है कि मास हिस्टीरिया को महामारी हिस्टीरिया के रूप में भी जाना जाता है। यह एक संक्रामक विघटनकारी घटना है। यह ऐसे लोगों के समूह के बीच होती है जो चिंता की स्थिति में हों। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर यह ज्यादातर स्कूलों में होता है। इसमें छात्र बीमारी या बेहोशी की स्थिति से गुजरते हैं। यह घबराहट और डर के तेजी से फैलने के चलते होता है। इसका शिकार ऐसे लोग होते हैं जो भावनात्मक या मानसिक तनाव का सामना कर रहे हों।

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