कोहली भी हो चुके हैं डिप्रेशन के शिकार, उन्होंने बताया, तब मैं खुद को दुनिया का सबसे लाचार व्यक्ति समझने लगा

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने खुलासा किया कि एक वक्त था, जब वे डिप्रेशन में थें। शुक्रवार को उन्होंने इस बात का खुलासा किया। कहा कि 2014 में इंग्लैंड टूर में वे कठिर दौर से गुजर रहे थे। बल्लेबाजी में असफलता के बाद वह खुद को दुनिया का सबसे अकेला व्यक्ति जैसा महसूस कर रहे थे।

Asianet News Hindi | Published : Feb 19, 2021 12:44 PM IST / Updated: Feb 20 2021, 10:13 AM IST

नई दिल्ली. भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने खुलासा किया कि एक वक्त था, जब वे डिप्रेशन में थें। शुक्रवार को उन्होंने इस बात का खुलासा किया। कहा कि 2014 में इंग्लैंड टूर में वे कठिर दौर से गुजर रहे थे। बल्लेबाजी में असफलता के बाद वह खुद को दुनिया का सबसे अकेला व्यक्ति जैसा महसूस कर रहे थे।

अपने 'नॉट जस्ट क्रिकेट' पॉडकास्ट पर इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी मार्क निकोलस के साथ बातचीत में कोहली ने स्वीकार किया कि सभी बल्लेबाजों की लाइफ में इस तरह का एक दौर आता है। उस समय आपके बस में कुछ नहीं होता।

उन्होंने कहा, हां, मैंने किया था। विराट की ये प्रतिक्रिया तब थी जब उनसे पूछा गया कि  क्या वे उस समय डिप्रेशन में थे। उन्होंने कहा, यह अच्छी फीलिंग नहीं है। लगता है कि आप रन नहीं बना पाएंगे। कभी न कभी ऐसा सभी बल्लेबाजों ने महसूस किया है। 

कोहली 2014 में इंग्लैंड दौरे पर थे, जिसने 5 टेस्ट में 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0, 7, 6 और 20 का स्कोर किया था। उनकी 10 पारियों में 13.50 के औसत से 134 रन बनाए थे।

कोहली ने कहा, आप समझ नहीं पा रहे होते हैं कि आप इससे कैसे बाहर निकलेंगे। यह एक ऐसा दौर था जब मैं सचमुच इससे निकलने के लिए कुछ नहीं कर पा रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं दुनिया का सबसे अकेला आदमी हूं।

उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि मेरे पास लोग नहीं थे, बल्कि मुझे लग रहा था कि मुझे कोई समझ पाएगा या नहीं। कोई ऐसा जिसे मैं कहूं कि सुनो मुझे कुछ अच्छा महसूस नहीं हो रहा, सुनो मुझे नींद नहीं आ रही। मैं आत्मविश्वास खो चुका था।

उन्होंने कहा, मेंटल हेल्थ के मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। वे किसी व्यक्ति के करियर को नष्ट कर सकते हैं। उन्होंने कहा,  मुझे नींद आने में भी मुश्किल होती थी। मैं सुबह उठना नहीं चाहता था। मेरे अंदर आत्मविश्वास नहीं बचा था। समझ नहीं आता था कि मैं क्या करूं?

कोहली ने कहा, "बहुत से लोग लंबे समय तक इस भावना से पीड़ित रहते हैं। यह महीनों तक चलता रहता है। यह पूरे क्रिकेट सत्र में चलता है। लोग इससे बाहर नहीं निकल पाते हैं।

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