मास्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को दो दिन के दौरे पर भारत आ रहे हैं। इस दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे और राजधानी दिल्ली में होने वाले 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक VTB के एक सम्मेलन में बोलते हुए, राष्ट्रपति पुतिन ने ऐलान किया कि वे और प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही मिलेंगे और भारत के साथ व्यापार और आयात पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
उन्होंने कहा कि रूस अपनी "स्वतंत्र आर्थिक नीति" जारी रखेगा, जो सिर्फ अपने हितों का ध्यान रखती है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले तीन सालों में भारत और चीन के साथ रूस का व्यापार काफी बढ़ा है।
"अगर यूरोप युद्ध चाहता है, तो हम अब तैयार हैं," यह कहकर पुतिन ने यूरोप पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देशों के पास अब "शांति की कोई योजना" नहीं है, बल्कि वे युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं।
VTB इन्वेस्टमेंट फोरम में बोलते हुए पुतिन ने कहा कि आज दुनिया "बड़ी उथल-पुथल" के दौर से गुज़र रही है, क्योंकि कुछ देश अपने "एकतरफा दबदबे" का इस्तेमाल करके दूसरों पर दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिमी देश दुनिया के साथ "प्रतिस्पर्धा खत्म" करना चाहते हैं। पुतिन ने कहा, 'वे इसमें नाकाम हो रहे हैं और भविष्य में भी नाकाम होते रहेंगे।'
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करीब चार साल बाद फिर से भारत का दौरा करेंगे। इस बार उनका दौरा 4 और 5 दिसंबर, 2025 को तय है। उन्होंने आखिरी बार 6 दिसंबर, 2021 को भारत का दौरा किया था, जब वे 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने दिल्ली आए थे। उसके बाद, रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया और अंतरराष्ट्रीय हालात काफी बदल गए। इस वजह से, पुतिन पिछले चार सालों से भारत नहीं आ पाए थे। अब उम्मीद है कि उनके इस दौरे से दोनों देशों के रिश्तों को नई मजबूती मिलेगी।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यह दौरा कितना अहम है, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत-रूस की दोस्ती से भारत को अब "सुदर्शन चक्र" जैसी ताकत मिल सकती है, जो देश को हर हवाई खतरे से बचाने वाला एक सुरक्षा कवच है। इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि 2035 तक भारत के पास एक ऐसा "अभेद्य सुरक्षा कवच" होगा, जिसे कोई भी हवाई हमला भेद नहीं पाएगा।
अब, इस दौरे के दौरान उस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा सकता है। भारत ने रूस के साथ पांच S-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए एक समझौते पर दस्तखत किए थे, जिनमें से तीन की डिलीवरी हो चुकी है। लेकिन अब, बातचीत एक कदम और आगे बढ़ रही है और एस-500 सिस्टम की खरीद पर भी बात हो सकती है। उम्मीद है कि दुनिया के सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम में से एक, S-500 पर भी चर्चा होगी। अगर यह डील हो जाती है, तो 2035 तक अपना खुद का एयर डिफेंस नेटवर्क बनाने का भारत का सपना और भी मजबूत हो जाएगा।
पुतिन के दौरे से पहले, रूसी संसद एक ऐसे समझौते को मंजूरी देने की तैयारी में है, जिसे दोनों देशों के बीच "गेम-चेंजर" कहा जा रहा है। इसे रेलोस (RELOS) या पारस्परिक विनिमय लॉजिस्टिक्स समझौता कहा जाता है। यह समझौता भारत और रूस की सेनाओं को ज़रूरत पड़ने पर एक-दूसरे की सुविधाओं का इस्तेमाल करने की इजाज़त देगा, चाहे वह ईंधन भरने, मरम्मत या बेस के इस्तेमाल के लिए हो।