
Waqf Amendment Act 2025: वक्फ संशोधन कानून 2025 (Waqf Amendment Act 2025) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को तीखी बहस देखने को मिली। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने अदालत में कहा कि वक्फ की रचना कोई सेक्युलर प्रक्रिया नहीं है बल्कि मुस्लिम समुदाय द्वारा अल्लाह को दी गई संपत्ति है। इसलिए इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना संवैधानिक रूप से सवालों के घेरे में है।
कपिल सिब्बल ने कहा: यह संपत्ति किसी धर्मनिरपेक्ष प्रक्रिया से नहीं बनाई जाती बल्कि मुसलमान खुदा को समर्पित करते हैं। फिर उसमें ऐसे प्रावधान कैसे आ सकते हैं जिससे मुस्लिम ही अल्पसंख्यक बन जाएं? उन्होंने यह बात केंद्रीय वक्फ परिषद (Central Waqf Council) की नई संरचना पर सवाल उठाते हुए कही।
नए कानून के तहत, 22 सदस्यीय वक्फ परिषद में सिर्फ 10 सदस्य मुसलमान हो सकते हैं जबकि अन्य सदस्यों में विधिवेत्ता, प्रतिष्ठित व्यक्ति और एक अधिकारी शामिल होंगे। इस पर सिब्बल ने तर्क दिया कि हिंदू धार्मिक ट्रस्ट्स में कोई मुसलमान नहीं होता, सिख गुरुद्वारों में गैर-सिख नहीं होते तो फिर वक्फ में गैर-मुस्लिम क्यों?
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (CJI BR Gavai) ने कहा: तो फिर बोधगया में क्या? वहां सब हिंदू हैं। इस पर सिब्बल ने मुस्कुराते हुए कहा: मुझे पता था आप यह कहेंगे। उन्होंने बताया कि कई पूजा स्थलों को हिंदू और बौद्ध दोनों समुदाय पवित्र मानते हैं लेकिन वक्फ की प्रकृति विशिष्ट रूप से मुस्लिम है।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Singhvi) ने नए वक्फ रजिस्ट्रेशन नियमों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कानून ऐसा है जैसे किसी मुस्लिम को हमेशा के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगवाए। कौन से धार्मिक ट्रस्ट में यह साबित करना पड़ता है कि आप 5 साल से धार्मिक गतिविधि कर रहे हैं? क्या यह डर पैदा करने के लिए नहीं है?
वरिष्ठ वकील राजीव धवन (Rajeev Dhawan) ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी धार्मिक कानून में धर्म की परिभाषा ही बदल दी गई है। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं लेकिन यह कानून धर्म के नाम पर नई शर्तें थोपता है। मेरे एक सिख मुवक्किल कहते हैं कि वे वक्फ में योगदान देना चाहते हैं लेकिन अब यह कानून उन्हें रोकता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी (Huzefa Ahmadi) ने तंज भरे लहजे में पूछा कि क्या किसी मुसलमान की पहचान तय करने के लिए उससे यह पूछा जाएगा कि वह रोजाना पांच वक्त की नमाज पढ़ता है या नहीं? या फिर यह भी पूछा जाएगा कि क्या आप शराब पीते हैं?
सुनवाई की शुरुआत में चीफ जस्टिस गवई ने कहा: जो कानून संसद से पास होकर आता है, उसकी संवैधानिकता मानी जाती है। जब तक कोई स्पष्ट असंवैधानिकता साबित न हो, तब तक अदालत उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ देशभर में मुस्लिम संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं। उनका आरोप है कि यह कानून अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला है और सरकार वक्फ संपत्तियों पर नजर गड़ाए हुए है। वहीं सरकार का दावा है कि यह संशोधन वक्फ बोर्डों को पारदर्शी, समावेशी और कार्यक्षम बनाने के लिए लाया गया है। अदालत में सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।