आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों को झुठला नहीं रहे हैं - स्मृति

कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ने फिक्की यंग लीडर्स फोरम की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘फायरसाइड चैट’ में जोर देकर कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मुहैया करा रही है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 14, 2019 11:18 AM IST

नयी दिल्ली.  केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को कहा कि आर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार की कोशिशों का असर दिखने लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न पक्षकारों से दैनिक आधार पर मिल रही है ताकि आने वाली चुनौतियों का समाधान किया जा सके।

कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ने फिक्की यंग लीडर्स फोरम की ओर से आयोजित कार्यक्रम ‘फायरसाइड चैट’ में जोर देकर कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मुहैया करा रही है।

मंत्री ने इसके पक्ष में कई आंकड़े दिए। उन्होंने कहा, "चलिए आंकड़ों से समझते हैं। हम लगभग दो करोड़ मकान बनाने के करीब हैं, एक मकान बनाने पर आठ लोगों को 45 का दिन का रोजगार मिलता है। इसे दो करोड़ से गुणा करिए। इसी के साथ हमने 10 करोड़ शौचालय बनाए हैं। प्रत्येक शौचालय बनाने में आठ दिनों तक दो से तीन लोगों की जरूरत होती है। फिर आंकड़ों को समझिए। वस्त्र उद्योग में हमें 6000 करोड़ रुपये का पैकेज मिला है और प्रत्येक एक करोड़ रुपये पर 70 लोगों को सीधा रोजगार मिलता है।"

जब स्मृति से पूछा गया कि सुस्त होती अर्थव्यवस्था में उद्यमियों को मौका देने के लिए सरकार की क्या योजना है, तो उन्होंने जवाब दिया कि गत 100 दिन में 8,900 करोड़ रुपये सीधे देशभर के किसानों के खातों में गए हैं। 

स्मृति ने साफ किया कि सरकार आने वाली चुनौतियों को झुठला नहीं रही है, लेकिन यह चुनौती पुरी दुनिया में है। उन्होंने अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का संदर्भ देते हुए यह बात कही। केंद्रीय मंत्री ने कपङा व्यापार को लेकर किए गए सवाल पर बताया कि भारत बड़े पैमाने पर कपास चीन को निर्यात करता है, लेकिन इस व्यापार युद्ध से भारत को नुकसान हुआ है।

स्मृति ने कहा कि जब वैश्विक चुनौतियां सामने आती हैं तब सरकार घरेलू उद्योगों का बचाव करती है। उदाहरण के लिए वस्त्र उद्योग क्षेत्र में 507 वस्तुओं के घरेलू उत्पादकों को आयात शुल्क कम होने की वजह से नुकसान होता था। इसलिए सरकार ने इन पर आयात शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की है।

(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)  

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