What is Asoj Amavasya: हरियाणा विधानसभा चुनाव के वोटिंग तारीख को बदल दिया गया है। चुनाव आयोग ने वोटिंग डेट चेंज करने की वजह असोज अमावस्या बताया है। आईए जानते हैं असोज अमावस्या के बारे में...
बिश्नोई समाज का प्रमुख त्योहार
असोज अमावस्या, बिश्नोई समाज का एक प्रमुख त्योहार है। हरियाणा के कई विधानसभा क्षेत्रों में बिश्नोई समाज के लोग चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की संख्या में हैं।
मुकाम गांव में जुटता है देशभर का बिश्नोई समाज
बिश्नोई समाज का राजस्थान के मुकाम गांव से विशेष कनेक्शन है। असोज अमावस्या पर हजारों की संख्या में पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के बिश्नोई समाज के लोग गांव में पहुंचते हैं। बिश्नोई समुदाय के लोग गुरु जम्बेश्वर की याद में राजस्थान के मुकाम गांव में एकत्र होते हैं।
गुरु जम्बेश्वर की याद में मनाया जाता है 'आसोज अमावस'
बिश्नोई समाज के संस्थापक गुरु जम्बेश्वर हैं। उनकी याद में असोज अमावस्या मनाया जाता है। गुरु जम्बेश्वर ने राजस्थान के बीकानेर जिले के मुकाम गांव में समाधि ली थी। बिश्नोई समाज में यह स्थान मुक्तिधाम के नाम से जाना जाता है।
मुक्तिधाम पर हर साल दो बार मेला
मुक्तिधाम पर हर साल असोज अमावस्या और फाल्गुन अमावस्या पर मेला लगता है। इस मेला में देश-दुनिया में फैले बिश्नोई समाज के लोग शिरकत करने पहुंचते हैं।
क्यों टला हरियाणा चुनाव?
हरियाणा विधानसभा चुनाव 1 अक्टूबर को था। 2 अक्टूबर को असोज अमावस्या है। सिरसा, फतेहाबाद और हिसार सहित कई क्षेत्रों में हजारों की संख्या में बिश्नोई परिवार राजस्थान के मुकाम गांव जाते हैं। ऐसे में तर्क दिया गया है कि बिश्नोई समाज के हजारों लोगों के राजस्थान जाने की वजह से वोट परसेंटेज पर असर पड़ सकता है। वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत गिरने की आशंका में चुनाव तारीखों में बदलाव का ऐलान किया है। अब 1 अक्टूबर की बजाय 5 अक्टूबर को हरियाणा में वोट पड़ेंगे। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में वोटों की गिनती की तारीख में भी बदलाव किए गए हैं। चार अक्टूबर को होने वाली गिनती अब 8 अक्टूबर को होगी। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में वोटिंग की तारीखों में कोई फेरबदल नहीं किया गया है।
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