वायनाड भूस्खलन में भयानक तबाही के बाद क्यों माधव गाडगिल रिपोर्ट चर्चा में आई?

केरल के मुख्य सचिव वी. वेणु ने 107 से अधिक शवों के बरामद होने की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि हमारे अस्पतालों में करीब 70 से अधिक शव पहुंच चुके हैं। इसके अलावा, मलप्पुरम में चलियार नदी से 16 शवों को निकाले जाने की सूचना है।

 

Dheerendra Gopal | Published : Jul 30, 2024 3:34 PM IST / Updated: Jul 30 2024, 09:37 PM IST

Wayanad landslide updates: वायनाड में भूस्खलन ने भयानक तबाही मचाई है। 100 से अधिक मौतों के बाद एक बार फिर वेस्टर्न घाट्स इकोलॉजी एक्स्पर्ट पैनल की रिपोर्ट चर्चा में है। माधव गाडगिल के एक्सपर्ट पैनल की इस रिपोर्ट ने एक दशक पहले ही इस भयानक त्रासदी की आशंका जताते हुए चेतावनी दी थी लेकिन सरकारों ने रिपोर्ट्स को गंभीरता से नहीं लिया। रिपोर्ट में अंधाधुंध खनन और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटीज पर तत्काल रोक लगाने की सिफारिश की गई थी। लेकिन 13 साल पहले पेश की गई रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

दरअसल, माधव गाडगिल के नेतृत्व में वेस्टर्न घाट इकोलॉजी एक्सपर्ट पैनल ने अगस्त 2011 में केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी। इस पैनल ने मेप्पाडी में पर्यावरण को पहुंचाई जा रही क्षति से होने वाले नुकसान को लेकर चेताया था। पैनल ने कहा था कि मेप्पाडी में अंधाधुंध खनन और कंट्रक्शन वर्क से कभी भी बड़ा भूस्खलन हो सकता जिससे गांव के गांव मिट जाएंगे।

Latest Videos

गाडगिल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 18 इकोलॉजिकल सेंसेटिव एरिया की पहचान की थी। इसमें मेप्पाडी भी था। मेप्पाडी क्षेत्र में मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और लूनपुझा गांव आते हैं। मंगलवार को भूस्खलन में यह पूरा क्षेत्र तबाह हो चुका है।

गाडगिल रिपोर्ट को केंद्र ने खारिज कर कस्तूरीरंगन कमेटी गठित की थी

माधव गाडगिल एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की बजाय केंद्र सरकार ने इसे खारिज कर दिया। इस रिपोर्ट को खारिज करने के बाद सरकार ने एक नई कमेटी का गठन किया। कस्तूरीरंगन कमेटी से नए सिरे से सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया। माधव गाडगिल के अगुवाई वाले पैनल ने अपनी रिपोर्ट में पश्चिमी घाटों में इकोलॉजिकल सेंसेटिव एरिया और अन्य क्षेत्र के बीच वर्गीकृत किया गया था। ईएसजेड- I और ईएसजेड- II क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर स्पष्ट प्रतिबंध और नियम थे। गाडगिल पैनल ने सिफारिश की थी कि ईएसजेड- I में खनन और रेड कैटेगरी वाले इंडस्ट्री को परमिशन न दी जाए। जिन क्षेत्रों में खनन की अनुमति है, वहां की खदानें मानव बस्तियों से कम से कम 100 मीटर दूर होनी चाहिए। डब्ल्यूजीईईपी के सदस्य पर्यावरणविद् वीएस विजयन ने बताया कि बाद में सरकार ने दूरी को घटाकर मात्र 50 मीटर कर दिया। केंद्र सरकार के नए पैनल कस्तूरीरंगन ने ईएसए की सीमा को पश्चिमी घाट के 37 प्रतिशत तक कम कर दिया।

रिपोर्ट में यह क्षेत्र काफी संवेदनशील

मंदकोल, पनाथडी, पैथलमाला, ब्रह्मगिरि - तिरुनेल्ली, वायनाड, बाणासुर सागर - कुट्टियाडी, नीलांबुर - मेपाडी, साइलेंट वैली - न्यू अमरम्बलम, सिरुवानी, नेलियामपैथी, पीची - वज़ानी, अथिराप्पिल ली - वज़हाचल, पूयमकुट्टी - मुन्नार, इलायची पहाड़ियां, पेरियार, कुलथुपुझा, अगस्त्य माला,

ईएसजेड-I, II के क्षेत्र

गाडगिल पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, विथिरी, मननथवाडी और सुल्तान बाथरी को ईएसजेड-I में रखा गया। जबकि मलप्पुरम में पेरिंथलमन्ना और तिरूर तालुके को ईएसजेड-II में रखा गया था।

यह भी पढ़ें:

वायनाड में अबतक 108 शव बरामद, 116 घायलों को बचाया, रेस्क्यू में नौसेना की मदद

Share this article
click me!

Latest Videos

'कुत्ते की पूंछ की तरह सपा के दरिंदे भी...' जमकर सुना गए Yogi Adityanath #shorts
दिल्ली सरकार की नई कैबिनेट: कौन हैं वो 5 मंत्री जो आतिशी के साथ लेंगे शपथ
Akhilesh Yadav LIVE: माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस वार्ता
हरियाणा BJP संकल्प पत्र की 20 बड़ी बातें: अग्निवीर को पर्मानेंट जॉब-महिलाओं को 2100 रु.
धारा 370 पर मोदी ने खुलेआम दिया चैलेंज #Shorts