PFI के Shocking फैक्ट : 23 राज्यों में नेटवर्क-200+ कैडर, ब्रेनवॉश कर देशद्रोही बनने की ट्रेनिंग देता था ग्रुप

केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 5 साल के लिए बैन कर दिया। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर एक्शन लिया गया है। गृह मंत्रालय ने इन संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। क्या है PFI और कैसे करता है काम, आइए जानते हैं।  

Ganesh Mishra | Published : Sep 22, 2022 5:48 AM IST / Updated: Sep 28 2022, 10:40 AM IST

PFI Banned: केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 5 साल के लिए बैन कर दिया। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर एक्शन लिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह एक्शन (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA के तहत लिया है। इसके साथ ही PFI के सभी संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इन सभी के खिलाफ टेरर लिंक के सबूत मिले हैं। क्या है PFI, कैसे बना और क्या हैं आरोप? आइए जानते हैं।  

क्या है PFI का फुलफॉर्म?
पीएफआई का फुलफॉर्म (Popular Front of India) पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है। 

क्या है PFI?
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक कट्टर इस्लामिक संगठन है। यह खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकार के लिए आवाज उठाने वाला बताता है, लेकिन देश के कई राज्यों में हुए दंगों में इस संगठन का कनेक्शन सामने आया है। पीएफआई को लेकर कहा जाता है कि इस संगठन का केरल मॉड्यूल आतंकी संगठन ISIS के लिए काम करता था। केरल से इसके कई मेंबरों ने सीरिया और इराक में ISIS को ज्वॉइन किया था। 

कैसे बना PFI?
पीएफआई की स्थापना 1993 में बने नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट से ही हुई है। 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम से एक संगठन बना था। इसके बाद 2006 में नेशनल डेमाक्रेटिक फ्रंट का विलय पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) में हो गया। हालांकि, ऑफिशियल इस संगठन की शुरुआत 17 फरवरी, 2007 में हुई। यह संगठन केरल से ही संचालित होता है लेकिन पूरे देश में इसके लोग फैले हुए हैं। 

सिमी पर बैन के बाद उभरा PFI :
पीएफआई को स्‍टूडेंट्स इस्‍लामिक मूवमेट ऑफ इंडिया यानी सिमी का ही विकल्प माना जाता है। 1977 में बने सिमी को 2006 में बैन कर दिया गया। उसके बाद मुसलमानों, आदिवासियों और दलितों के हक की बात करने के लिए इस संगठन की स्थापना हुई, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। ये एक कट्टर इस्लामिक संगठन है, जिसका नाम देशभर में हुए कई दंगों में सामने आ चुका है। इसकी संदिग्ध गतिविधियों के चलते कई बार इसे बैन करने की मांग उठ चुकी है। 

कैसे होती थी भर्ती?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के मुताबिक पीएफआई देश के 23 राज्यों में सक्रिय था। यह कट्टरपंथी संगठन उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक देश में अपनी जड़ें फैला चुका था। संगठन के कार्यकर्ता मुस्लिम युवकों का ब्रेनवॉश कर उन्हें इसमें शामिल करते थे। तेलंगाना पुलिस की कोर्ट डायरी के मुताबिक पीएफआई चंदा इकट्ठा कर मुस्लिम युवकों को आसामाजिक गतिविधियों की ट्रेनिंग देता था। 

PFI की इन अलग-अलग विंग्स को किया बैन
केंद्र सरकार ने पीएफआई से जुड़े जिन संगठनों को बैन किया है, उनमें कुल 8 विंग शामिल हैं। 

1. इंडिया फाउंडेशन (RIF)

2. कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI)

3. ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC)

4. नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO)

5. नेशनल विमेन्स फ्रंट

6. जूनियर फ्रंट

7. एम्पावर इंडिया फाउंडेशन

8. रिहैब फाउंडेशन

क्या काम करता था PFI?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, PFI के इरादे बेहद खतरनाक थे। इसके काम की बात करें तो यह संगठन सोशल सर्विस के नाम पर विदेशों से फंड इकट्ठा करना, चंदे की रकम से आतंकी मॉड्यूल तैयार करना, बाहर से हुई फंडिंग से भारत के खिलाफ प्रचार करना, स्कूल, कॉलेज और मदरसों से नए लड़कों की भर्ती करना, मुस्लिम बहुल इलाकों में लड़कों का ब्रेनवॉश करना, मार्शल आर्ट के जरिए नए लड़कों को आतंक की ट्रेनिंग, कुंगफू और कराटे सिखाकर आतंकियों को तैयार करना, कश्मीर मॉडल के तहत लड़कों को पत्थर चलाने की ट्रेनिंग देना, शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसात्मक बनाने का तरीका सिखाना जैसे काम करता था। इस संगठन ने भारत में अपने दो सौ से ज्यादा कैडर तैयार कर लिए थे।  

PFI पर लगे ये आरोप : 
- पीएफआई पर देशभर में दंगे फैलाने का आरोप है। इसके साथ ही इस संगठन का नाम कई राजनीतिक हत्याएं कराने के अलावा लव जिहाद में भी सामने आ चुका है। इसके अलावा पीएफआई पर और भी कई आरोप हैं। 
- 2010 में केरल के एक प्रोफेसर टीजे जोसेफ कट्‌टरपंथियों के निशाने पर आए थे। प्रोफेसर जोसेफ ने परीक्षा के लिए तैयार क्वेश्चन पेपर में 'मोहम्मद' नाम लिखा था। जोसेफ पर धार्मिक भावनाएं आहत करने और ईशनिंदा का आरोप लगा। इसके बाद कट्‌टरपंथियों ने उनका दायां हाथ काट दिया था। यह पहला केस था, जब भारत में PFI का नाम ईशनिंदा के खिलाफ किसी मामले में जुड़ा था।
- 2016 में बेंगलुरु के आरएसएस नेता रुद्रेश की हत्या दो अज्ञात बाइक सवारों ने की थी। शहर के शिवाजीनगर में हुए इस मर्डर में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था और ये चारों पीएफआई से जुड़े थे।
- इसके अलावा पीएफआई पर उत्तरी कन्नूर में एक ट्रेनिंग कैंप चलाने का आरोप भी लग चुका है। 2013 में कन्नूर पुलिस ने बताया था कि इस कैंप से तलवार, बम, देसी पिस्टल और आईईडी ब्लास्ट में काम आने वाली चीजें बरामद हुई थीं।  
- जुलाई, 2022 में पटना पुलिस ने फुलवारी शरीफ में छापेमारी कर आतंकी साजिश का खुलासा किया था। खुलासे के मुताबिक आंतकियों के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी थे। इस केस में NIA ने सितंबर, 2022 में बिहार में छापेमारी की थी, जिसमें अतहर और अलाउद्दीन को गिरफ्तार किया था। इनके पास से इंडिया 2047 नाम का डॉक्यूमेंट भी मिला है। इसके मुताबिक ये अगले 25 साल में भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना चाहते थे।

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