ई-ट्रक क्रांति: क्या बदलेगी भारत की सड़कें? PM ई-ड्राइव स्कीम में 500 करोड़ एलॉट

भारत सरकार की पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत 500 करोड़ रुपये ई-ट्रकों को बढ़ावा देने के लिए आवंटित। डीजल ट्रकों को ई-ट्रकों से बदलने पर जोर, उत्सर्जन में कमी और पर्यावरण संरक्षण पर फोकस।

PM E-Drive Scheme: आईसीसीटी के साथ भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने ई-ट्रक्स को प्रोत्साहन और पर्यावरण सुरक्षा को लेकर नई दिल्ली में इंडिया ई-ट्रक एक्सचेंज प्रोग्राम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत आवंटित 500 करोड़ रुपये के सही उपयोग पर चर्चा की गई। यह योजना भारत के इलेक्ट्रिक ट्रकों (ई-ट्रकों) की ओर बदलाव को गति देने के लिए महत्वपूर्ण है ताकि नेशनल क्लाइमेटिक गोल्स और एनर्जी सिक्योरिटी उद्देश्यों को सफल बनाया जा सके।

ई-ट्रकों की ओर स्विच होने के बाद क्या होगा फायदा

उत्सर्जन में कमी: भारत में बड़े बेड़ों में मध्यम व भारी शुल्क वाले वाहनों के बेड़े में ट्रक का हिस्सा केवल 3 प्रतिशत है लेकिन यह कार्बन डाई-आक्साइड के उत्सन में 44 प्रतिशत का योगदान देते हैं। ई-ट्रकों को अपनाने से कार्बन उत्सर्जन में व्यापक कमी आएगी।

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भारत सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 तक डीजल ट्रकों को बदलने की नीति बनाने के लिए निर्देश दिया था। अब ट्रकों को ई-ट्रकों में एक्सचेंज करने के बाद काफी हद तक पर्यावरण को संरक्षण तो मिलेगा ही नई नीति से विकास को भी गति मिलेगी।

एमएचआई के सचिव ने क्या कहा?

एमएचआई के सचिव कामरान रिज़वी ने कहा कि इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए यात्रा अभी शुरू हुई है। पीएम ई ड्राइव के तहत दिए गए 500 करोड़ रुपये का अलॉटमेंट हुआ है। इसका सही उपयोग कर अपने लक्ष्यों को पाया जा सकता है। एडिशनल सेक्रेटरी डॉ.हनीफ कुरैशी ने कहा कि इलेक्ट्रिक ट्रकों की लागत में कमी आने के साथ साथ वायु गुणवत्ता में सुधार भी होगा।

आईसीसीटी ने क्या कहा?

आईसीसीटी के एमडी अमित भट्ट ने कहा कि भारत को 2070 तक नेट जीरो तक पहुंचने के लिए अपने सभी सड़क परिवहन का विद्युतीकरण करना होगा। इसके लिए सबसे पहले डीजल परिवहन वाहनों को ई-वाहन में एक्सचेंज करना सबसे आवश्यक है।

क्या है पीएम ई-ड्राइव स्कीम?

पीएम ई-ड्राइव योजना में वाहनों को ई-वाहन में तब्दील करने की नीति बनायी गई है। इसके लिए सरकार ने अलग से फंड रिलीज किया है। पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 2000 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए 4391 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

ई-बसों के संचालन से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17%-29% की कमी हो सकती है और रिन्यूअल ऊर्जा का उपयोग करने पर यह आंकड़ा 83% तक जा सकता है।

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