
नई दिल्ली. मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर ऐतिहासिक फैसला लिया है। गृहमंत्री ने धारा 370 खत्म करने और राज्य का पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में पेश किया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। अमित शाह की तरफ से जारी बयान में कहा- लद्दाख के लोगों की हमेशा केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने की मांग रही है। जिससे यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें। जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी। उसकी स्थिति अब दिल्ली केंद्रशासित राज्य जैसी होगी। जिसमें राज्य सरकार के अलावा उपारज्यपाल का दखल बढ़ जाएगा।
राज्य में ये बड़े बदलाव होंगे
1- जम्मू-कश्मीर के 2 हिस्सों में बांट दिया है। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश होगा। यहां विधानसभा के चुनाव होंगे।
2- दूसरा लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश होगा जिसकी कमान एलजी के हाथ में होगी। जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला राज्य होगा।
3- लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह विधानसभा विहीन केंद्रशासित प्रदेश होगा।
4- जम्मू-कश्मीर को दूसरे राज्यों से मिले अधिकार कम हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर में जनता सरकार चुनेगी लेकिन राज्य में उपराज्यपाल का दखल काफी बढ़ जाएगा।
5- दिल्ली की तरह जिस तरह सरकार को सारी मंजूरी उपराज्यपाल से लेनी होती है, उसी प्रकार अब जम्मू-कश्मीर में भी होगा।
6- पूरे राज्य में भारतीय संविधान लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा। 17 नवंबर1956 को अपना संविधान पारिता किया था जो खत्म हो गया है।
7- विशेष अधिकार हटाने के बाद अब सरकार के वहां इमरजेंसी लगाई जा सकती है।
8- जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का था, लेकिन अब अन्य राज्यों की तरह विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का होगा।
9- विशेषाधिकार की वजह से सिर्फ स्थायी नागरिकों को जम्मू कश्मीर वोट का अधिकार प्राप्त थे। इसके तहत किसी दूसरे राज्य के लोग यहां वोट नहीं दे सकते और न चुनाव में उम्मीदवार बन सकते थे।
10- अब भारत सरकार के फैसले के बाद भारत के नागरिक वहां के वोटर और प्रत्याशी बन सकते हैं।