सीएम तो होगा लेकिन दिल्ली के हाथ में होगी सत्ता की चाबी, अब J&K में होंगे ये 10 बड़े बदलाव

मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर ऐतिहासिक फैसला लिया है। गृहमंत्री ने धारा 370 खत्म करने और राज्य का पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में पेश किया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 5, 2019 8:23 AM IST / Updated: Aug 05 2019, 07:44 PM IST

नई दिल्ली. मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर ऐतिहासिक फैसला लिया है। गृहमंत्री ने धारा 370 खत्म करने और राज्य का पुनर्गठन विधेयक राज्यसभा में पेश किया है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है। लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। अमित शाह की तरफ से जारी बयान में कहा- लद्दाख के लोगों की हमेशा केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने की मांग रही है। जिससे यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें। जम्मू-कश्मीर को अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा होगी। उसकी स्थिति अब दिल्ली केंद्रशासित राज्य जैसी होगी। जिसमें राज्य सरकार के अलावा उपारज्यपाल का दखल बढ़ जाएगा। 

राज्य में ये बड़े बदलाव होंगे

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1- जम्मू-कश्मीर के 2 हिस्सों में बांट दिया है। जम्मू-कश्मीर केंद्र शास‍ित प्रदेश होगा। यहां विधानसभा के चुनाव होंगे।

2- दूसरा लद्दाख केंद्रशास‍ित प्रदेश होगा जिसकी कमान एलजी के हाथ में होगी। जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला राज्य होगा। 

3- लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह व‍िधानसभा व‍िहीन केंद्रशासित प्रदेश होगा। 

4- जम्मू-कश्मीर को दूसरे राज्यों से मिले अधिकार कम हो गए हैं। जम्मू-कश्मीर में जनता सरकार चुनेगी लेकिन राज्य में उपराज्यपाल का दखल काफी बढ़ जाएगा। 

5- दिल्ली की तरह जिस तरह सरकार को सारी मंजूरी उपराज्यपाल से लेनी होती है, उसी प्रकार अब जम्मू-कश्मीर में भी होगा।

6- पूरे राज्य में भारतीय संविधान लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा। 17 नवंबर1956 को अपना संविधान पारिता किया था जो खत्म हो गया है। 

7- विशेष अधिकार हटाने के बाद अब सरकार के वहां इमरजेंसी लगाई जा सकती है। 

8- जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का था, लेकिन अब अन्य राज्यों की तरह विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का होगा। 

9- विशेषाधिकार की वजह से सिर्फ स्थायी नागरिकों को जम्मू कश्मीर वोट का अधिकार प्राप्त थे। इसके तहत किसी दूसरे राज्य के लोग यहां वोट नहीं दे सकते और न चुनाव में उम्मीदवार बन सकते थे। 

10- अब भारत सरकार के फैसले के बाद भारत के नागरिक वहां के वोटर और प्रत्याशी बन सकते हैं। 

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