निर्भया से पहले इन 4 मामलों में आधी रात को खुले सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे, आखिरी मौके पर आए फैसले

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पांच साल बाद हुआ है कि आधी रात को अदालत किसी अर्जेंट मामले में बैठी हो। फांसी के मामले में ये दूसरा केस है, इससे पहले याकूब मेमन की फांसी के वक्त रात को तीन बजे सुनवाई हुई थी

नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप के चारों दोषियों को दिल्ली की तिहाड़ जेल में 20 मार्च सुबह 5.30 बजे फांसी हो गई है। पिछले सात साल से फांसी को टालने के लिए दोषी कई तरह के हथकंडे अपना रहे थे। दोषियों के वकील एपी सिंह की तरफ से लाख कोशिशों को बावजूद कोर्ट ने फांसी पर मोहर बरकरार रखी। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एपी सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और रात को ढाई बजे इस मामले पर सुनवाई हुई थी। हालांकि, करीब दो घंटे तक चली हलचल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका को खारिज कर दिया और दोषियों को फांसी पर लटकाया गया। सुप्रीम कोर्ट इससे पहले भी कई मामलों में आधी रात को सुनवाई कर चुका है। आइए जाने जानते हैं वो कौन से केस रहे हैं.....

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पांच साल बाद हुआ है कि आधी रात को अदालत किसी अर्जेंट मामले में बैठी हो। फांसी के मामले में ये दूसरा केस है, इससे पहले याकूब मेमन की फांसी के वक्त रात को तीन बजे सुनवाई हुई थी।

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याकूब मेमन फांसी

1993 के मुंबई सीरियल धमाके के दोषी याकूब मेमन की याचिका को जब राष्ट्रपति की ओर से खारिज कर दिया गया था, तब 30 जुलाई 2015 की आधी रात को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला था। वकील प्रशांत भूषण सहित कई अन्य वकीलों की तरफ से देर रात को फांसी टालने के लिए अपील की गई थी।

तब जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में तीन जजों की एक बेंच ने रात के तीन बजे इस मामले को सुना था। 30 जुलाई 2015 की रात को 3.20 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी, जो कि सुबह 4.57 तक चली थी। हालांकि, फांसी टालने की इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था और बाद में याकूब मेमन को फांसी दी गई थी।

कर्नाटक सरकार मामला

फांसी के मामले से इतर राजनीतिक मसले को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट आधी रात को खुली थी। 2018 में कर्नाटक में जब राज्यपाल की तरफ से आधी रात को बीजेपी को सरकार बनाने का अवसर मिला था, तब कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 17 मई 2018 को रात 2 बजे सुनवाई शुरू हुई और सुबह करीब 5 बजे तक चली थी। हालांकि, अदालत ने बीएस येदियुरप्पा की शपथ रोकने से इनकार किया था।

1992: अयोध्या विवाद

6 और 7 दिसंबर 1992 की दरमियानी रात सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि ढांचा गिराए जाने के मामले में सुनवाई की थी। 

निठारी कांड

साल 2005-06 में व्यापारी मोनिन्दर सिंह पंढेर और उसका नौकर सुरेंद्र कोली ने नोएडा के निठारी में 16 बच्चों को मार डाला था। इस मामले में दोनों को सजा-ए-मौत सुनाई गई थी। तब साल 2014 के दर्मयान कोली के वकील ने फांसी से कुछ घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट में अपील की। निठारी मामले में  सुप्रीम कोर्ट ने सुबह-सवेरे सुनवाई की फांसी पर रोक लगा दी थी। हालांकि साल 20019 में कोर्ट ने फिर से कोली को फांसी की सजा सुनाई। 

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