यशवंत सिन्हा: IAS की नौकरी छोड़ने वाला नेता जिसने तीन दिग्गज प्रधानमंत्रियों के खास मंत्री के रूप में किया काम

President Election 2022 यशवंत सिन्हा को विपक्ष ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार बनाया है। सिन्हा को प्रत्याशी बनाने के साथ ही विपक्षी दलों ने बीजेपी व एनडीए दलों से अपील की है कि वह उनका समर्थन कर निर्विरोध निर्वाचन की राह आसान करें।

Dheerendra Gopal | Published : Jun 21, 2022 1:22 PM IST / Updated: Jun 21 2022, 09:18 PM IST

President Election 2022 दिग्गज पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा बीजेपी के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी कैबिनेट में अहम ओहदा संभाल चुके यशवंत सिन्हा को मंगलवार को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों का संयुक्त प्रत्याशी बनाया गया है। विपक्षी दलों के संयुक्त प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के उतरने से सत्ताधारी खेमा अपनी रणनीति को नए सिरे से बनाएं यह स्वभाविक है। हालांकि, बीजेपी के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि उसने अभी तक अपने प्रत्याशी के नाम का खुलासा नहीं किया है। उधर, एक संयुक्त बयान में विपक्षी दलों के नेताओं ने भाजपा और उसके सहयोगियों से श्री सिन्हा का समर्थन करने की अपील की कर एक बड़ी चाल चल दी है।

कौन हैं यशवंत सिन्हा?

6 नवंबर, 1937 को जन्मे श्री सिन्हा ने पटना में स्कूल और विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है। 1958 में, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में परास्नातक पूरा किया और 1958 से 1960 तक अपने महाविद्यालय में राजनीति विज्ञान पढ़ाया। 1960 में, वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में शामिल हुए और अपने 24 साल के कार्यकाल के दौरान कई पदों पर रहे।

1984 में आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखा

यशवंत सिन्हा ने अंततः 1984 में आईएएस से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। 1986 में उन्हें अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में राज्यसभा के लिए चुने गए। जब वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल का गठन हुआ, तो श्री सिन्हा को इसका महासचिव नियुक्त किया गया। उन्होंने पहली बार नवंबर 1990 से जून 1991 तक चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के रूप में काम किया, जिन्होंने जनता दल को विभाजित किया और समाजवादी जनता पार्टी का गठन किया।

1996 में बीजेपी सरकार में वित्त मंत्री बनें

श्री सिन्हा जून 1996 में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने और मार्च 1998 में तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा फिर से वित्त मंत्री बनाए गए। वह झारखंड में अपने संसदीय क्षेत्र हजारीबाग से लोकसभा चुनाव लड़ते रहे। हालांकि, 2014 में उन्हें भाजपा द्वारा हजारीबाग से टिकट से वंचित कर दिया गया था, जिसने उनके बड़े बेटे जयंत को वहां से मैदान में उतारा था।

श्री सिन्हा ने 2018 में पटना में एक समारोह में सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की। लेकिन 2021 में, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और इसके उपाध्यक्ष बने। मंगलवार को उन्होंने यह कहते हुए पार्टी छोड़ दी कि उनके लिए अधिक विपक्षी एकता के लिए काम करने का समय आ गया है। श्री सिन्हा की शादी नीलिमा से हुई है और उनके दो बेटे और एक बेटी है।

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