
Bihar Chunav 2025 Results: दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के 9 महीने बाद देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी को बिहार में भी मुंह की खानी पड़ी। कांग्रेस के लिए बिहार में 'हार' शब्द बेहद हल्का है, बल्कि सही मायनों में कांग्रेस यहां पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। 2025 में बिहार चुनाव कांग्रेस के लिए अब तक का सबसे खराब इलेक्शन साबित हुआ है।
कांग्रेस ने किशनगंज में पूर्व एआईएमआईएम नेता कामरुल होदा की बदौलत जीत हासिल की। मनिहारी में मनोहर सिंह की जीत हुई। फार्बिसगंज में मनोज विश्वास, वाल्मीकि नगर में सुरेंद्र प्रसाद, चनपटिया में अभिषेक रंजन और अररिया में अबिदुर रहमान जीते। आलोचकों का कहना है कि कांग्रेस ने अपने अहंकार और मतदाताओं से दूरी के चलते सीटें गंवाई हैं। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि चुनाव प्रचार से राहुल गांधी की लंबी अनुपस्थिति भी इसका एक कारण है।
वोटर अधिकार यात्रा का मकसद कांग्रेस की बिहार योजना को गति देना था, ताकि उसके मतदाताओं को भारतीय जनता पार्टी द्वारा चुनाव आयोग के साथ मिलीभगत करके की जा रही 'वोट चोरी' का एहसास हो और वे जेडीयू और 'सदैव' मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़ने के लिए प्रेरित हों। लेकिन वोटर अधिकार यात्रा खत्म होते ही राहुल गांधी गायब हो गए। इसके बाद वोटर्स बिहार में उनकी गैरमौजूदगी और कांग्रेस के एजेंडे में राज्य की जनता के लिए किसी भी बड़ी योजना के न होने पर बीजेपी की ओर झुक गए।
बीजेपी के स्टार प्रचारकों ने बिहार में ताबड़तोड़ रैलियां कीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 14 रैलियां और बिहार के सात दौरे किए। उनके अलावा अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने भी एक दर्जन से ज्यादा भाषण दिए।
बिहार में तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को एक साथ मंच पर दिखने की जरूरत थी, लेकिन महागठबंधन की तरफ से इसमें काफी देर हुई और पहले चरण के मतदान से एक हफ्ते पहले यानी 29 अक्टूबर तक दोनों नेता एक मंच पर नहीं दिखे। कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने तो यहां तक कहा कि हम पोस्टर लगा रहे हैं, रोड शो कर रहे हैं लेकिन राहुल गांधी के बिना सब अधूरा सा लगता है।