जानें क्यों तालिबान ने शेयर की 51 साल पहले भारत के सामने पाकिस्तानी सैनिकों के घुटने टेकने वाली PHOTO

इन दिनों पाकिस्तान और तालिबान में तकरार चल रही है। इसी बीच, पाकिस्तान द्वारा तालिबान पर हमला करने की धमकी को लेकर तालिबान के एक बड़े नेता अहमद यासिर ने उस तस्वीर को ट्वीट किया है, जिसमें भारत ने 1971 की जंग में पाकिस्तान को घुटनों पर लाते हुए उनके 93 हजार से ज्यादा सैनिकों को सरेंडर कराया था।

Ganesh Mishra | Published : Jan 3, 2023 6:43 AM IST / Updated: Jan 03 2023, 12:18 PM IST

India Defeats Pakistan in 1971: इन दिनों पाकिस्तान और तालिबान में तकरार चल रही है। इसी बीच, पाकिस्तान द्वारा तालिबान पर हमला करने की धमकी को लेकर तालिबान के एक बड़े नेता अहमद यासिर ने उस तस्वीर को ट्वीट किया है, जिसमें भारत ने 1971 की जंग में पाकिस्तान को घुटनों पर लाते हुए उनके 93 हजार से ज्यादा सैनिकों को सरेंडर कराया था। अहमद यासिर ने इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा- हम पर हमला करने से पहले पाकिस्तान ये जरूर सोच ले कि उसे 1971 के युद्ध में भारत के आगे सरेंडर करना पड़ा था। पाकिस्तान के गृहमंत्री जी, ये अफगानिस्तान है। हम पर हमले की सोचना भी नहीं, वरना जिस तरह भारत के सामने हथियार डाले थे, वैसा ही तुम्हारे साथ दोबारा हो जाएगा। 

आखिर क्या है इस तस्वीर की कहानी?
बता दें कि तालिबान नेता यासिर ने जो तस्वीर शेयर की है वो 16 दिसंबर, 1971 की है। इस तस्वीर में जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्तान के तत्कालीन जनरल नियाजी ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ सरेंडर’ पर दस्तखत करते हुए नजर आ रहे हैं। 1971 में भारत-पाकिस्तान की जंग में सिर्फ 13 दिनों के युद्ध में ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। 

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बांग्लादेश पर जुल्म करती थी पाकिस्तान की सेना : 
बता दें कि बांग्लादेश के बनने में भारत की अहम भूमिका रही है। दरअसल, 1947 में पाकिस्तान का बंटवारा दो हिस्सों में हुआ। पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान ही आज का बांग्लादेश है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लोगों पर पाकिस्तानी सेना ने जुल्म करने शुरू कर दिए। इसके बाद वहां की जनता को हक दिलाने के लिए भारत को इस जंग में कूदना पड़ा। 

बांग्लादेश के लोगों की मदद के लिए आगे आया भारत : 
25 मार्च, 1971 को पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जनरल याहया खान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के विरोध को अपनी ताकत से कुचलने का आदेश दे दिया। इसके बाद भारत ने बांग्लादेश की मदद का बीड़ा उठाया। नवंबर आते-आते बांग्लादेश को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। 

इसी बीच पाकिस्तान ने कर दिया भारत पर हमला : 
इसी बीच, 3 दिसंबर 1971 को जब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कोलकाता में एक सभा कर रही थीं, तभी शाम साढ़े 5 बजे पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भारतीय वायु सीमा पार कर पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर और आगरा के मिलिट्री बेस पर हवाई हमले शुरू कर दिए। इस पर भारतीय सेना ने भी जवाबी कार्रवाई की। 

भारतीय सेना की जवाब कार्रवाई से थर-थर कांपने लगा पाकिस्तान : 
इसी बीच, 14 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना को खबर लगी कि ढाका के गवर्नमेंट हाउस में दोपहर 11 बजे एक मीटिंग होने वाली है। भारतीय सेना ने पहले ही तय कर लिया था कि मीटिंग के वक्त ही वहां बम बरसाएंगे। इसके बाद भारत के मिग-21 विमानों ने गवर्नमेंट हाउस की छत पर हमला किया। मीटिंग में तब के सेना प्रमुख जनरल नियाजी भी मौजूद थे, जो उस हमले में बच कर भाग निकले। भारतीय सेना के इस हमले के बाद बाद पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से घुटनों पर आ गई।

भारत के सामने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने किया सरेंडर : 
इसके बाद 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने अपने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने घुटने टेकते हुए सरेंडर कर दिया था। इस दौरान उन्हें अपने सभी तमगे (मेडल) उतारते हुए रिवॉल्वर भी भारतीय सेना के हवाले करनी पड़ी थी। इसके बाद जनरल नियाजी ने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण दस्तावेज पर हस्तक्षार भी किए थे। बाद में जनरल सैम मानेकशॉ ने इंदिरा गांधी को बांग्लादेश पर जीत की खबर सुनाई थी। इसके बाद बांग्लादेश को एक आजाद देश और ढाका को उसकी राजधानी बना दिया गया था। 

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