माइक्रोफाइनेंस की प्रताड़ना से महिला ने की आत्महत्या, चुकाने थे सिर्फ़ ₹2,440

माइक्रोफाइनेंस की प्रताड़ना का शिकार हुई एक महिला ने आत्महत्या कर ली। शाम तक पैसे नहीं दिए तो मान-मर्यादा की नीलामी करेंगे, इस धमकी से प्रताड़ित महिला ने दी गई समय सीमा में ही अपनी जान दे दी। आखिर उसे कितने पैसे देने थे? जानिए पूरी कहानी।

मैसूरु: माइक्रोफाइनेंस की प्रताड़ना का शिकार हुई एक महिला ने आत्महत्या कर ली। शाम तक पैसे नहीं दिए तो मान-मर्यादा की नीलामी करेंगे, इस धमकी से प्रताड़ित महिला ने दी गई समय सीमा में ही अपनी जान दे दी। आखिर उसे कितने पैसे देने थे? जानिए पूरी कहानी।

महिला को केवल 2,440 रुपये चुकाने थे। लेकिन माइक्रोफाइनेंस कर्मचारियों द्वारा दी गई धमकी के कारण महिला ने अपनी जान दे दी। महिला का नाम सुशीला था और उसकी उम्र 48 साल थी। वह मैसूरु जिले के हुणसूर तालुक के किरिजाजी गाँव की रहने वाली थी। उसने अपने बेटे नवीन कुमार के लिए हुणसूर शहर के फॉर्च्यून माइक्रोफाइनेंस से 40 हजार रुपये का कर्ज लिया था। हर महीने की 7 तारीख को उसका बेटा नवीन कुमार 2,440 रुपये की ईएमआई चुकाता था। लेकिन इस महीने की 7 तारीख को किश्त नहीं चुकाई गई थी। बेटे नवीन कुमार ने कुछ समय माँगा था। लेकिन फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी पैसे वसूलने के लिए पीछे पड़ गए। कल सुबह फॉर्च्यून फाइनेंस के कर्मचारी उमेश और अन्य कर्मचारी घर के बाहर आकर बैठ गए और पैसे देने के लिए दबाव बनाने लगे। उन्होंने धमकी दी कि अगर पैसे नहीं दिए तो मान-मर्यादा की नीलामी कर देंगे। उन्होंने कहा कि अगर पैसे नहीं दे सकते तो मर जाओ, कर्ज माफ हो जाएगा। उन्होंने शाम तक की मोहलत दी। अपनी बहू के सामने बेइज्जती होने से सुशीला इतनी आहत हुई कि उसने खेत में जाकर कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली।

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उस समय उसका बेटा नवीन कुमार काम के सिलसिले में हुणसूर शहर गया हुआ था। फाइनेंस कर्मचारियों की प्रताड़ना से आहत सुशीला खेत में जाकर कीटनाशक खा लिया। खेत में बेहोश पड़ी सुशीला को हुणसूर शहर के डी. देवराज अरसु अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ से उसे बेहतर इलाज के लिए मैसूरु के के.आर. अस्पताल में रेफर कर दिया गया। लेकिन इलाज के बावजूद सुशीला की मौत हो गई। इस मामले में परिजनों ने फाइनेंस कर्मचारियों और कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

इस मामले में हुणसूर ग्रामीण पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। अब माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्मचारियों को कर्ज वसूली के दौरान सावधानी बरतनी होगी।

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