कौन हैं वाईएस शर्मिला? जिन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में किया विलय, इस सीएम परिवार से जुड़ीं

Published : Jan 04, 2024, 03:00 PM IST
ys sharmila

सार

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला ने अपनी पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। गुरूवार को वे कांग्रेस में शामिल भी हो गईं। 

YS Sharmila. आंध्र प्रदेश की वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया है। आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला ने न सिर्फ अपनी पार्टी का विलय किया बल्कि खुद भी कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में शर्मिला ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। तेलंगाना में कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद यह विलय पार्टी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है और आने वाले लोकसभा चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है।

कौन हैं वाईएस शर्मिला

वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की संस्थापक और अध्यक्ष वाईएस शर्मिला पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की बेटी हैं। 49 वर्षीय शर्मिला का जन्म हैदराबाद के पुलिवेंदुला में हुआ था। उनका पालन पोषण पॉलिटिकल परिवार में हुआ। शर्मिला के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी अविभाजित आंध्र प्रदेश के सीएम थे और हेलीकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। शर्मिला ईसाई परिवार से ताल्लुक रखती हैं और उनके पति एम अनिल कुमार बिजनेसमैन हैं। दोनों ने प्रेम विवाह किया है और दोनों के दो बच्चे भी हैं।

 

 

कैसा रहा शर्मिला का सियासी सफर

शर्मिला की सियासत पिता की मौत के बाद शुरू हुआ था। मई 2012 में सीबीआई ने शर्मिला के भाई जगन मोहन को गबन के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। तब उन्होंने अपनी मां के साथ मिलकर पार्टी को संभालने की जिम्मेदारी उठाई। शर्मिला ने आंध्र प्रदेश में करीब 3000 किलोमीटर तक की पदयात्रा की और पार्टी के जनाधार को मजबूत करने का काम किया। इस दौरान वे 14 जिलों में पहुंची जिसकी वजह से पार्टी को काफी प्रसिद्धि मिली थी।

आखिर क्यों कांग्रेस पार्टी में शामिल हुईं शर्मिला

तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के दौरान ही इस बात की चर्चा की जा रही थी कि शर्मिला कांग्रेस में शामिल हो सकती हैं। तब वे पार्टी में शामिल तो नहीं हुईं लेकिन चुनाव भी नहीं लड़ा, जिसका फायदा कांग्रेस पार्टी को मिला। इससे पहले पार्टी के संसदीय दल ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की थी, जिसके बाद से ही माना जा रहा था कि पार्टी का विलय किया जा सकता है। अब यह आधिकारिक तौर पर विलय पूरा हो चुका है।

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