20 साल के लक्ष्य सेन को रविवार रात खेले गए ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियशिप के फाइनल में विश्व के नंबर 1 और मौजूदा ओलंपिक चैंपियन डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था।
स्पोर्ट्स डेस्क: भारत के स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) ने स्विस ओपन (Swiss Open) में नहीं खेलने का निर्णय लिया है। लक्ष्य इस समय करियर में शानदार दौर से गुजर रहे हैं। पिछले दो हफ्तों में वे बैडमिंटन के बड़े और प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जर्मन ओपन (German Open) और ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप (All England Badminton Championships) के फाइनल मुकाबले खेल चुके हैं। हालांकि वे थोड़े दुर्भाग्यशाली रहे कि उन्हें दोनों ही खिताबी मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा।
शानदार फॉर्म में होने के बावजूद लक्ष्य के स्विस ओपन से हटने के फैसले से हर कोई हैरान है। वैसे स्विस ओपन का आयोजन 22 मार्च से स्विट्जरलैंड के बासेल में सेंट जैकबशाले में होगा। लक्ष्य सेन को अपने अभियान के पहले मैच में भारतीय समीर वर्मा के साथ मुकाबला करना था। लक्ष्य के हटने से अब फिर से नया ड्रॉ निकाला जाएगा।
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ये भारतीय खिलाड़ी लेंगे भाग
स्विस ओपन में भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधु सहित कई दिग्गज खिलाड़ी भाग लेंगे। एकल वर्ग में भारते से 13 खिलाड़ी खिताबी दावेदारी पेश करेंगे। वहीं युगल वर्ग में सात्विकसाईराज रैंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी के अलावा 13 युगल टीमें स्विस ओपन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
20 साल के लक्ष्य सेन को रविवार रात खेले गए ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियशिप के फाइनल में विश्व के नंबर 1 और मौजूदा ओलंपिक चैंपियन डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसन के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा था। विक्टर ने खिताबी मुकाबले में लक्ष्य को सीधे सेटों में 21-10, 21-15 से हरा दिया था।
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दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी विक्टर एक्सेलसन ने लक्ष्य से खिलाफ फाइनल मुकाबले में गजब का प्रदर्शन किया। 28 साल के विक्टर ने अपने अनुभव का पूरा उपयोग करते हुए लक्ष्य को इस बड़े मुकाबले में खुलकर खेलने का एक भी मौका नहीं दिया। इस दबाव के चलते लक्ष्य टूट गए विक्टर विजयी रहे।
21 साल बाद फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी
लक्ष्य सेन 21 साल बाद फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। 1980 में प्रकाश पादुकोण और 2001 में पुलेला गोपीचंद केवल दो भारतीय हैं जिन्होंने ऑल इंग्लैंड का खिताब जीता है। 2001 के बाद से कोई भी भारतीय यह प्रतिष्ठित खिताब नहीं जीत सका है।
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