
अर्जुन ने कृष्ण के प्रति खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया। कृष्ण ने भी अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ ज्ञान की शिक्षा देने और दुनिया की सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाने का वादा किया। धरती और उससे बाहर की भी सभी चीजें कृष्ण की सीमा के अंदर पाई जाती हैं, लेकिन कृष्ण असीम हैं। वह एक अनासक्त आत्मा है जो हमारे लौकिक चक्रों का हिस्सा नहीं है। शुरू से अंत तक, वह हर अवधि में भाग लेता है लेकिन वह हर अवधि से बिना प्रभावित हुए निकल जाता है। जब भी कोई व्यक्ति एक मूर्ति की पूजा करता है, तब वह अदृश्य रूप से कृष्ण की ही पूजा कर रहा होता है। कृष्ण ने अर्जुन को बताया कि उनको प्रेम के साथ दी गई हर चीज स्वीकार्य है। इसलिए हर संसारिक कार्य को भी हमें भगवान के लिए किए जाने वाले काम के रूप में करना चाहिए, तभी भगवान उसे स्वीकार करते हैं। इन कार्यों में खाना और सोना भी शामिल है। कृष्ण के अनुसार यही सही रास्ता है।
पसंदीदा श्लोक
अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम् |
परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम्
जब भगवान कृष्ण एक व्यक्ति के रूप में धरती पर उतरते हैं, तो नादान लोग उन्हें पहचानने में असमर्थ होते हैं। वे उनकी दिव्यता से अनजान हैं। वे इस बात से भी अनजान हैं कि वह सभी प्राणियों के सर्वोच्च भगवान हैं।
विश्लेषण
कृष्ण अर्जुन को विस्तार में समझाते हैं कि कैसे वह अपने सभी कर्मों को ईश्वर से प्रार्थना और प्रसाद के रूप में बदल सकता है। भले ही उनका ध्यान आध्यात्म से प्रेम की तरफ चला गया हो, पर वास्तविक विषय अभी भी समान ही है। कृष्ण अभी भी अर्जुन को स्वयं और भगवान से जुड़ी सत्य की अवधारणाओं को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। हिंदू परंपराओं के अनुसार कृष्ण, मनुष्यों और भगवान के बीच प्रेम प्रकट करने का जरिया हैं। अर्जुन को अपनी विशालता समझाने के लिए कृष्ण खुद की तुलना उन सभी चलती हवाओं से करते हैं, जो हमेशा विकराल होती हैं, चाहे वे कहीं भी हों। कृष्ण बताते हैं कि वह वास्तव में ईश्वर की अभिव्यक्ति है और जो इंसान खुली किताब की तरह है उससे प्रम करना आसान है, जबकि परमेश्वर के प्रति प्रेम प्रकट करना कठिन कार्य है। कृष्ण के अनुसार हर लौकिक चक्र के अंत में वे सभी को खुद में समाहित कर लेते हैं और फिर से नवनिर्माण करते हैं। कृष्ण का अप्रदर्शित रूप सर्वनाश करता है और सभी चीजों का पुनः निर्माण करता है। इस प्रकार, कृष्ण अर्जुन को सिखाते हैं कि जैसे वह जन्म, मृत्यु और सृष्टि के प्रति अनासक्त है, वैसे ही अर्जुन को भी होना चाहिए। कृष्ण ने ओम का भी उल्लेख किया है, जो हिंदू धर्म के लिए सबसे पवित्र शब्द है। उनका मानना है कि यह सृजन की मौलिक ध्वनि है। कृष्ण उन तीन वेदों के बारे में भी बताते हैं जो हिंदू धर्म के लिए मूलभूत ग्रंथ हैं। मूल रूप से हिंदू धर्म में तीन वेद थे: ऋगवेद, सामनवेद और यजुर्वेद जिसमें हमारे सभी रीति-रिवाजों का जिक्र हैं।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA)भी किया है।